HAPPY DOCTORS DAY : कठिन है डॉक्टर की लाइफ, इस डॉक्टर डे जाने उनके जीवन को…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- हर साल 1 जुलाई, 2024 को पूरा देश डॉक्टर्स डे के रूप में मनाता है। डॉक्टर किसी के लिए भगवान हैं तो कोई इन्हें सुपरहीरो मानता है। कोविड-19 के दौरान अपनी और अपने परिवार की जान दांव पर लगाकर डॉक्टर्स ने लाखों करोड़ों लोगों की जान बचाई। इस महामारी से बचने के लिए हमारी सिर्फ एक ही ढाल थी और वो थे हमारे देश के डॉक्टर्स। हमारी जान बचाने वाले, हमें स्वस्थ शरीर देने वाले, हमारी बताई और बिना बताई हर समस्या का इलाज करने वाले डॉक्टर्स सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि हर रोज सम्मान के हकदार है। डॉक्टर्स की लाइफ चुनौतियों से भरी है। कई बार मारपीट, धमकी और कई तरह की समस्याएं डॉक्टर्स को झेलनी पड़ती हैं। आज हम उन्ही डॉक्टर्स की लाइफ और उसमें आने वाले चैलेंजज के बारे में बात कर रहे हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने एक सर्वे में बताया गया है कि डॉक्टर्स काफी मेंटल प्रोब्लम से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 82.7% डॉक्टर्स तनाव में हैं। इसकी कई वजह हैं जैसे- कई बार डॉक्टरों से लोग लड़ाई करने लगते हैं। उन पर हमले कर दिए जाते हैं और आपराधिक मुकदमें भी दायर किए जाते हैं। ये सभी बातें डॉक्टर्स को उनके पेशे में डराती हैं। जिसका इसर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे में नींद की कमी, तनाव, कई सामाजिक चुनौतियां और रूढ़िवादिता की वजह से देश के डॉक्टर्स मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।खुद को फिट रखना है चुनौती

डॉक्टर्स का काम दिन-रात यानि 24 घंटे का होता है। ऐसे में खुद को फिट रखना भी उनके लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। कई बार डे शिफ्ट और नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है। ओवर टाइम भी करना पड़ता है। ऐसे में न खाने के लिए वक्त मिलता और न ही सोने के लिए। इस लाइफस्टाइल में लंबे समय तक खुद को फिट रखना बड़ी चुनौती बन जाता है। डॉक्टर्स के ऊपर खुद को फिट रखने की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है।

प्रेशर में काम करना

कई बार डॉक्टर्स के ऊपर कई तरह के दबाव भी बनाएं जाते हैं। बहुत सारे लोग डॉक्टरों को भगवान मानते हैं वो ठीक है, लेकिन डॉक्टर सब कुछ ठीक कर दें ये भी जरूरी नहीं है। इलाज करवाने आए लोग कई बार उन पर पैसे का दबाव या फिर किसी बड़े नाम का भी दबाव बनाते हैं। जिससे उन्हें प्रेशर में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

पर्सनल स्पेस की कमी

सरकारी डॉक्टर हों या प्राइवेट आज भी भारत में इनकी संख्या काफी कम है। भारत में 1 डॉक्टर के ऊपर 834 मरीज का दवाब है। अब आप खुद ही सोचिए कि डॉक्टर्स की लाइफ कितनी व्यस्त होगी। कई बार त्योहार हो या कोई खास दिन डॉक्टर्स को ड्यूटी पर आना ही पड़ता है। अक्सर डॉक्टर्स की शिकायत रहती है कि वो अपनी फैमिली को टाइम नहीं दे पाते हैं।

 

 

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