राज्यपाल ने बुलाया योगी मंत्रिमंडल को चाय पर, असंतोष मंत्रियों से ली जाएगी फीडबैक !!
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर यूपी में काबिज हैं। यूपी में सरकार के तीन महीने पूरे हो गए हैं। हाल ही में सीएम योगी और उनके सहयोगियों ने सरकार के 100 दिन का कामकाज का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखा था।
जिसका एक अच्छा संदेश भी गया था। लेकिन नई तबादलता नीति के बनने के बाद ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर मंत्रियों और अफसरों के बीच मतभेद सामने आए तो कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्रियों के बीच भी तकरार देखने को मिली। ऐसे में सरकार की छवि को काफी नुकसान पहुंच रहा था। सरकार से जुड़े सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार के इशारे पर अब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सीएम सभी मंत्रियों को चाय पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। इसके पीछे का मकसद सरकार के बीच पनप रहे असंतोष को दबाना है।
सरकार से जुड़े सूत्रों की माने तो राज्यपाल ने सीए योगी समेत सभी मंत्रियों (कैबिनेट और राज्य मंत्रियों) को चाय पर चर्चा करने के लिए बुलाया है। दरअसल योगी सरकार ने 100 दिन के भीतर काफी काम किए हैं। इनके कामकाज को लेकर राज्यपाल मंत्रियों से फीडबैक भी ले सकती हैं। दरअसल यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल ने सीएम समेत पूरे मंत्रिमंडल को चाय पर चर्चा करने के लिए बुलाया हो। लेकिन राज्यपाल की मंत्रियों के साथ बैठक के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार के इशारे पर ही राज्यपाल ने पूरे मंत्रिमंडल को तलब किया है।
दरअसल यूपी की सियासत में पिछले कुछ दिनों से ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर कई विभागों में मारामारी मची थी। आलम यह था कि कुछ मंत्रियों को अपने अफसरों के खिलाफ ही लामबंद होना पड़ा तो कुछ ने नाराज होकर दिल्ली की राह पकड़ ली। ऐसा माना गया कि योगी मंत्रिमंडल में मंत्रियों के बीच असंतोष पनप रहा है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और अमित मोहन प्रसाद के टकराव ने सुर्खियां बटोरी तो PWD मंत्री जितिन प्रसाद के विभाग में भी तबादलों के खेल को लेकर काफी हंगामा हुआ। बात सीएम योगी तक पहुंची तो 5 अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरा दी गई। सरकार के तौर तरीकों से नाराज जितिन ने दिल्ली की राह पकड़ ली। बताया गया कि वह अमित शाह से मिलने गए हैं लेकिन अमित शाह ने जब मिलने से इंकार कर दिया तो जितिन को बैरंग वापस लौटना पड़ा। यानी कुल मिलाकर देखें तो योगी सरकार में तबादलों को लेकर पहली बार इतना हो हल्ला मचा जिससे सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा।
तबादलों के अलावा योगी सरकार में कैबिनेट मंत्रियों और राज्यमंत्रियों के बीच तालमेल का अभाव दिखाई दिय। जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने नाराज होकर अपना इस्तीफा गृह मंत्री अमित शाह को भेज दिया था। खटीक के इस कदम ने योगी सरकार में भूचाल ला दिया था। इस्तीफे के बाद खटीक ने योगी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि यह कोई विषय नहीं है। यानी केंद्रीय नेतृत्व के सक्रिय होने के बाद मामला शांत हो गया। लेकिन योगी सरकार में मंत्रियों के भीतर पनप रहे इस असंतोष की बात दिल्ली तक पहुंच गई। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ओर पीएम मोदी सक्रिय हुए। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के इशारे पर ही राज्यपाल ने सीएम समेत सभी मंत्रियों को एक मंच पर बुलाया ताकि सभी मंत्रियों के बच आपसी तालमेल बन सके।
दरअसल यूपी में दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ को फिर सीएम बनाया गया। सरकार बनने के कुछ दिनों के बाद पीएम मोदी लखनऊ आए और उन्होंने 5 कॉलीदास पर सीएम समेत सभी मंत्रियों के साथ डिनर किया था। इस डिनर में कई ब्यूरोक्रेट़स भी शामिल हुए थे। इस डिनर में मोदी ने सभी मंत्रियों को आपस तालमेल के साथ आगे बढ़ने की नसीहत दी थी। साथ ही मोदी ने सीएम योगी को सरकार चलाने का मंत्र भी दिया था। पीएम मोदी के डिनर की काफी चर्चा रही थी। उस डिनर के बाद अब राज्यपाल की तरफ से योग और उनके मंत्रियों के लिए चाय पर चर्चा का आयोजन किया गया है।