‘फ़िल्मों से प्यार है’ ने मनाई सत्यजित राय की पुण्य तिथि
जमशेदपुर :- न्यू यॉर्क स्थित भारतीय प्रवासियों की संस्था ‘हिन्दी से प्यार है’ की उपशाखा ‘फ़िल्मों से प्यार है’ ने भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव तथा सत्यजित राय की 30वीं पुण्यतिथि पर ‘सत्यजित राय का जादू’ (‘Remembering Satyajit Ray – The Master He was’) नाम से हिन्दी-इंग्लिश में मिला-जुला कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का संचालन जानी-मानी सिने विशेषज्ञ डॉ. विजय शर्मा ने किया। जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, रूस, य़ूएई, ब्रिटेन एवं भारत से सिने-प्रेमियों ने भागीदारी की।
सर्वप्रथन न्यू यॉर्क से ‘हिन्दी से प्यार है के संस्थापक अनूप भार्गव ने वक्ता, दर्शक/श्रोता का स्वागत करते हुए अमेरिका में स्थित भारत के कौंसिल जनरल रणधीर जयसवाल का परिचय देते हुए उन्हें बोलने के लिए आमंत्रित किया। रणधीर जयसवाल ने सत्यजित राय तथा उनकी फ़िल्मों से जुड़े अपने कई किस्से सुनाए और कहा कि अमेरिका मे लोग आज भी ‘पथेर पांचाली’ को याद करते हैं। इसके बाद अनूप भार्गव ने विजय शर्मा का परिचय देते हुए उनकी पुस्तकों से संबंधित एक वीडियो दिखाया तथा कहा कि वे हिन्दी एवं इंग्लिश का मिला-जुला प्रयोग कर संचालन करेंगी।
कार्यक्रम के संचालन की बागडोर संभालते हुए विजय शर्मा ने पुण्यतिथि पर समारोह करने का कारण बताते हुए कहा कि सत्यजित राय ने ‘स्व-धर्म’ का पालन किया और जो व्यक्ति अपनी प्रवृति अर्थात स्व-धर्म का पालन करता है उसके मृत्यु दिवस पर उत्सव होना चाहिए। गौतम घोष से जुड़ी अपने यादों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध फ़िल्म ‘पार’ के अलावा घौतम घोष ने ‘माँ भूमि’, ‘देखा’, ‘अंतरजली यात्रा’, पद्मा नदीर माँझी’, ‘पतंग’, ‘दखल’ ‘गुडिया’ जैसी अनेक फ़िल्में बनाई हैं। इसके साथ ही उन्होंने बिस्मिल्ला खाँ, दलाई लामा, राजस्थान तथा सत्यजित राय पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में बनाई हैं। उन्हें अनेक राष्ट्रीत-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, वे एकमात्र ऐसे भारतीय हैं जिन्हें‘ विटोरिया डि सिका’ सम्मान प्राप्त है। उन्होंने सत्यजित राय की विरासत को आगे बढ़ाते हुए ‘अबार अरण्ये’ नामक फ़िल्म बनाई है।
फ़िल्म निर्देशक गौतम घोष ने बहुमुखी प्रतिभा के धनी सत्यजित राय से जुड़े अपने अनुभव बताए। सत्यजित राय व्युजलाइज़र थे साथ ही वे महान शिक्षक थे। गौतम घोष ने सत्यजित राय से फ़िल्म की बारीकियों के अलावा समय की पाबंदी, अनुशासन तथा स्वप्न देखना सीखा। घोष ने कहा कि ‘आइकन ऑफ़ ह्युमैनिटी’ सत्यजित राय आज भी मानीखेज हैं। उन्होंने अपनी फ़िल्मों के द्वारा नॉलेज कल्टिवेट की है। उनके जीवन में उनकी माँ, पत्नी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने अपर्णा सेन, शर्मिला टैगोर तथा सौमित्र चैटर्जी जैसे अभिनेता फ़िल्म जगत को दिए। सत्यजित राय फ़िल्म निर्माण की कला और विज्ञान दोनों से परिचित थे।
गौतम घोष के वक्तव्य पर टिप्पणी करते हुए विजय शर्मा ने अगले वक्ता गायत्री चैटर्जी का परिचय दिया। पुणे में ‘सिम्बॉयोसिस स्कूल फ़ॉर द लिबरल आर्ट्स का शिक्षण कर रही गायत्री चैटर्जी पुणे फ़िल्म तथा टेलेविजन संस्थान में डॉरेक्शन विभाग में पढ़ा रही थीं। देख-विदेश में सिनेमा पर लेक्चर देने वाली चैटर्जी ने ‘मदर इंडिया’ तथा ‘आवारा’ दो किताबें लिखी हैं,‘आवारा’ पर उन्हें स्वर्णकमल पुरस्कार प्राप्त हुआ है उन्होंने स्क्क्रीनप्ले लिखने के अलावा ‘होम्स फ़ॉर गॉड्स एंड मोर्ट्ल्स’ तथा ‘लाइफ़ इज वाटर’ वित्तचित्र का निर्माण किया है।
‘करेक्टर्स एंड करेक्टराज़ाइकेशन इन सत्यजित राय’ज फ़िल्म’ विषय पर बोलते हुए गायत्री चैटर्जी ने कहा कि सत्यजित राय ने अपनी फ़िल्मों में विशिष्ट स्त्री पात्र गढ़े हैं, उनकी नायिकाएँ स्वभाव से नवीना हैं जबकि उनक कई पुरुष पात्र प्राचीनता, डिकाडेंट का बोध कराते हैं। ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘जलसाघर’ में हम विनष्ट होती, पतन की ओर जाती प्रवृति को देखते हैं। उनके पात्र स्वप्नदर्शी होते हैं। फ़िल्म ‘महानगर’ के अलावा वे सब फ़िल्मों में वायनरी खड़ी करते हैं। ‘महानगर’ फ़िल्म में पति-पत्नी यानि स्त्री-पुरुष साथ-साथ खड़े हैं, महानगर में जीवन की कठिनाइयों का मिल-जुल कर सामना करते हैं। सत्यजित राय के कई पात्र अपना स्थान छोड़ कर बाहर जाते हैं क्योंकि राय विश्वास कर रहे थे कि उस समय बंगाल प्रतिभाओं का उचित सम्मान नहीं कर रहा था।
प्रश्नोत्तर काल में हरप्रीत सिंह तथा रक्षा गीता ने गायत्री चैटर्जी से सत्यजित राय के सिनेमा से संबंधित प्रश्न पूछे, चैटर्जी ने जिनका विस्तार से दिया गायत्री चैटर्जी की अधिकाँश बातों की प्रशंसा करते हुए विजय शर्मा ने करीम सिटी कॉलेज की मॉसकॉम की प्रमुख नेहा तिवारी का परिचय देते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापन के लिए आमंत्रित किया। नेहा तिवारी ने कार्यक्रम की खूबियों को बताते हुए कौंसल जयसवाल, दोनों वक्ताओं, ‘हिन्दी से प्यार है’ की सहयोगी संस्थाओं जैसे ‘न्यू दिल्ली फ़िल्म फ़ाउंडेशन, सृजन संवाद का धन्यवाद किया। उन्होंने एक सुंदर आयोजन के लिए अनूप भार्गव तथा कुशल संचालन के लिए विजय शर्मा को विशेष धन्यवाद दिया। दर्शक-श्रोताओं के साथ पोस्टर बनाने वाली जर्मनी की डॉ शिल्पी एवं मीडिया का धन्यवाद किया।
इस ग्लोबल समारोह में न्यू यॉर्क, फ़िलाडेल्फ़िया, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, रूस, यूएई, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता, जमशेदपुर से ज़ूम मीट बहुत सारे लोग जुड़े। सिने-प्रेमियों ने इस तरह सत्यजित राय की 30वीं पुण्य तिथि पर उनके प्रशंसकों, सिने-प्रेमियों ने एक सुंदर अर्थपूर्ण कार्यक्रम का आनंद लिया। अगले कार्यक्रम की घोषणा के साथ समारोह समाप्त हुआ।