Exclusive: शिवसेना UBT को कैंपेन सॉन्ग से ‘भवानी’ और ‘हिंदू’ जैसे शब्द क्यों हटाने होंगे? जानें क्या कहता है ECI का नियम…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-इस हफ्ते की शुरुआत में, शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करते हुए मुद्दा उठाया था कि भारत के चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी द्वारा बनाए गए एक सॉन्ग पर आपत्ति जताई है और की गई आपत्तियां धार्मिक परीक्षण के उपयोग के संबंध में है. आजतक ने यह समझने के लिए चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर ये पूरा मामला क्या है और आयोग की तरफ से इस गाने पर आपत्तियां क्यों उठाई गईं.
शिवसेना (यूबीटी) के कैंपेन सॉन्ग को लेकर विवाद जारी है. पार्टी को अपने कैंपेन सॉन्ग से ‘भवानी’ और ‘हिंदू’ शब्द हटाने होंगे. कारण, यह निर्धारित चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के तहत फिट नहीं बैठते हैं और आयोग ने इन पर आपत्ति जताते हुए इन शब्दों को हटाने को कहा है. इसके बाद पार्टी को ये सॉन्ग फिर से प्री-सर्टिफिकेशन के लिए आयोग को भेजना होगा. चुनाव आयोग द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद पार्टी ने समीक्षा और निर्णय लेने की मांग की थी, लेकिन आयोग ने इस पर स्पष्ट कर दिया है कि शब्दों को हटाए बिना प्री-सर्टिफिकेशन नहीं हो सकेगा.
दरअसल, इस हफ्ते की शुरुआत में, शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करते हुए मुद्दा उठाया था कि भारत के चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी द्वारा बनाए गए एक सॉन्ग पर आपत्ति जताई है और की गई आपत्तियां धार्मिक परीक्षण के उपयोग के संबंध में है. आजतक ने यह समझने के लिए चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर ये पूरा मामला क्या है और आयोग की तरफ से इस गाने पर आपत्तियां क्यों उठाई गईं.
क्या है चुनाव आयोग का नियम?
बता दें कि 24 अगस्त, 2023 को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र के माध्यम से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, चुनाव उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले ऑडियो विजुअल और सॉन्ग को चुनाव आयोग के तहत एमसीएमसी (मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति) से प्री-सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती है और इसके लिए कुछ मापदंडों का उल्लेख किया गया है. जिसका पालन सभी पक्षों को करना होगा. यानी प्री-सर्टिफिकेशन के बिना कोई पार्टी चुनाव में किसी भी ऑडियो विजुअल विज्ञापन का इस्तेमाल नहीं कर सकती।