कैंसर नहीं पकड़ पा रहे थे डॉक्टर, बेटे के डेब्यू से पहले हुई संजय दत्त की मां की मौत…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- नरगिस… बॉलीवुड का ऐसा नाम और ऐसा चेहरा जिसके बिना शायद बॉलीवुड की परिभाषा नहीं दी जा सकती। नरगिस ने अपने फिल्मी करियर में कई फिल्में दीं, वो राज्यसभा सांसद भी बनीं मगर फिर कुछ ऐसा हुआ जो किसी ने नहीं सोचा था। नरगिस जब राज्य सभा सांसद थीं तब अचानक तेजी से उनका वजन कम होने लगा, उन्हें हर वक्त थकावट महसूस होती और पूरे शरीर में दर्द रहता था। शुरू में तो न ही नरगिस ने न ही उनके पति सुनील दत्त ने इस बारे में ध्यान दिया मगर फिर हालत ज्यादा खराब होने लगी तो उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया।

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नरगिस जब डॉक्टर से मिलने गईं उस वक्त भी उन्हें यही लगता रहा कि शायद ज्यादा ट्रैवलिंग की वजह से ये थकान उन्हें हो रही है, जिसके बाद डॉक्टर्स ने उन्हें आराम करने की सलाह दी। मगर वो इतनी व्यस्त थीं कि उन्हें आराम के लिए भी वक्त नहीं मिलता था।

जब अचानक बिगड़ गई नरगिस की तबीयत

29 जुलाई 1980 को मुंबई के सी रॉक होटल में संजय दत्त की बर्थडे पार्टी थी, इस पार्टी में उनाउंस हुआ कि रॉकी के बाद संजय दत्त प्रोड्यूसर गुलशन राय के बेटे राजीव राय की फिल्म करेंगे जिसका नाम युद्ध होगा। इस पार्टी में संजय दत्त के सारे करीबी पहुंचे थे मगर उनकी मां नरगिस दत्त नहीं पहुंच पाईं क्योंकि वो राज्य सभा के काम के लिए दिल्ली में रह रही थीं। इस बर्थडे पार्टी के 4 दिन बाद अचानक नरगिस की तबीयत बहुत खराब हो गई, उन्हें लेने के लिए सुनील दत्त दिल्ली आएं। मगर वो एयरपोर्ट पर चल भी नहीं पा रही थीं। इसके बाद दत्त ने उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टर समझ नहीं पा रहे थे कि नरगिस को क्या हो रहा है, रिपोर्ट्स नॉर्मल आ रही थीं। 15 दिन नरगिस अस्पताल में रहीं, जहां हर रोज उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी, हर रोज उनका वेट कम हो रहा था और चेहरा डूब रहा था। तरह-तरह की जांचे हुईं और फिर वो पता चला जिसके बाद दत्त साहब की दुनिया बदल गई। सुनील दत्त को खबर दी गई कि नरगिस को पैनक्रियाज का कैंसर है।

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डॉक्टरों ने सुनील दत्त से कहा उन्हें मरने दीजिए…

डॉक्टरों ने सुनील दत्त को सलाह दी कि उन्हें जल्द से जल्द न्यू यॉर्क के स्लॉएन कैटरिंग कैंसर सेंटर ले जाइए, सुनील दत्त टूट गए वो कुछ बोल नहीं सकें। वो घर आए और तीनों बच्चों को बुलाकर इस बात की जानकारी दी। उस दिन उनके बंगले में मातम पसर गया। सुनील दत्त उन्हें न्यू यॉर्क लेकर गए, जहां कुछ समय तक उनका इलाज चला। इलाज कराकर जब नरगिस वापस लौटीं तो उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई और वो कोमा में चली गईं। डॉक्टरों ने सुनील दत्त से कह दिया कि उन्हें मरने दें। उन्होंने कहा कि नरगिस महीनों से कोमा में हैं और वो बच भी गईं तो एक सब्जी की तरह पड़ी रहेंगी। हालांकि सुनील दत्त नहीं माने, नरगिस की सेवा की और वो कोमा से लौट आईं।

बेटे की सफलता नहीं देख पाईं नरगिस

नरगिस ठीक होने लगीं और सुनील दत्त ने बेटे संजय दत्त की डेब्यू फिल्म के प्रीमियर के लिए एंबुलेंस, व्हीलचेयर का इंतजाम कर लिया था, उनकी सीट पर रिजर्व थी, मगर नरगिस के नसीब में बेटे की पहली फिल्म देखना नहीं लिखा था। उससे पहले ही नरगिस ने इस दुनिया को छोड़ दिया। 3 मई 1981 को नरगिस इस दुनिया से गईं और 3 दिन बाद 6 मई 1981 को संजय दत्त की डेब्यू फिल्म रॉकी रिलीज हुई। नरगिस के लिए स्पेशल कुर्सी स्क्रीनिंग के दौरान रखी गई थी। फिल्म सुपरहिट हुई मगर नरगिस बेटे की ये सफलता नहीं देख पाईं।

 

 

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