क्या आपको भी बनवाना है Driving License? आ गया नया नियम, इन शर्तों को करना होगा पूरा…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- अनट्रेंड चालकों की वजह से सड़क हादसों को नियंत्रित करने के लिए बड़े वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए प्रशिक्षण स्कूल में 16 घंटे का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जिले के तीन प्रशिक्षण स्कूलों में ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है। डीएल बनवाने के किसी अन्य स्कूलों के सर्टिफिकेट पर आवेदन करने पर ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनेगा।

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अनट्रेंड चालकों की वजह से सड़क हादसों को नियंत्रित करने के लिए बड़े वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए प्रशिक्षण स्कूल में 16 घंटे का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जिले के तीन प्रशिक्षण स्कूलों में ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है।

डीएल बनवाने के किसी अन्य स्कूलों के सर्टिफिकेट पर आवेदन करने पर ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनेगा। एक सप्ताह के भीतर ही अलग-अलग दो सड़क हादसों में पांच लोगों की मौत हो गई थी।

भारी वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस में सख्ती

10 मई को गोपालपुर थानाक्षेत्र के मकंदपुर चौक के पास एनएच 31 पर ट्रक के जबरदस्त टक्कर में कार सवार तीन युवकों की मौत हो गई थी। 16 तारीख को सबौर के पास एनएच 80 पर हाइवा के धक्के से बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई। इससे पहले अंगारी के पास ट्रक के धक्के से बाइक सवार महिला की मौत हो गई थी, जबकि दो लोग जख्मी हुए थे।

हाल ही में जेल रोड में ट्रक ने कार में धक्का मार दिया था। कार क्षतिग्रस्त हो गया था। हालांकि, इस हादसे में कार सवार बाल-बाल बचे थे।

जिला परिवहन भारी वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस में सख्ती कर रही है, जिससे ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन करने वाले व ट्रेनिंग स्कूल के संचालक लापरवाही न बरते और नियमित तौर पर नियमों का पालन कर सके। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब 16 घंटे का ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है।

यही नहीं, प्रशिक्षण के दौरान ट्रेनिंग स्कूल में बायोमीट्रिक अटेंडेंस (थम्ब इम्प्रेशन) से हाजिरी ली जाएगी। भारी वाहन चलाने सीखने के लिए संचालित तीन ट्रेनिंग स्कूल जगदीशपुर, सजौर और नवगछिया में बायोमेट्रिक हाजिरी को सख्ती के साथ लागू किया जा रहा है।

एक महीने में 16 घंटे का प्रशिक्षण हाजिरी के साथ जरूरी

इसी के साथ एक महीने में 16 घंटे का प्रशिक्षण भी हाजिरी के साथ ही लागू किया गया है। इसके साथ ही जो भी भारी वाहन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस का आवेदन करेगा उसे जिले के दोनों ट्रेनिंग स्कूल में से किसी एक में प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा।

ट्रेनिंग स्कूल में किसी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए जिला परिवहन कार्यालय ने 16 घंटे का प्रशिक्षण, जिसमें वाहन चलाना सिखाया जाएगा। ये प्रशिक्षण 30 दिनों का रहेगा। इस दौरान प्रतिदिन आधे से एक घंटे वाहन के परिचालन की तकनीकी जानकारी प्रशिक्षक देंगे।

डीटीओ कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार सख्ती के बाद बड़े वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए प्रतिदिन दो-तीन लोग आवेदन करते हैं, जबकि इससे पहले आठ-दस लोग पहुंचते थे।

ट्रेनिंग स्कूल से प्रशिक्षण के बाद ही डीएल के लिए आवेदन किया जा सकता है। सड़क हादसों में मारे गए मृतक के आश्रित को मुआवजा के लिए कमिश्नरी में दावा न्यायाधिकरण है। यहां जज की प्रतिनियुक्ति की गई है। – निशांत कुमार, एमवीआइ, भागलपुर।

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