उम्मीदवारों के आपराधिक केसों का ब्योरा नहीं किया सार्वजनिक, चुनाव में अपराधीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त कदम, बीजेपी, कांग्रेस समेत 9 दलों पर ठोका जुर्माना
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों के अपराधीकरण से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. इसके तहत अब सभी राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों के एलान के 48 घंटे के भीतर मुकदमों की जानकारी जारी करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला संबंधित हाईकोर्ट की मंजूरी के बगैर वापस नहीं लिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कांग्रेस, भाजपा, एनसीपी व माकपा पर जुर्माना भी ठोका है. बिहार में 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी करार देते हुए जुर्माना लगा दिया. बिहार चुनावों में उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करने के आदेश का पालन ना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त कदम उठाया है. अदालत ने बीजेपी और कांग्रेस समेत 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया है. NCP और CPM पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है जबकि कांग्रेस और बीजेपी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना अदालत ने लगाया है.
राजद, जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और CPI पर भी एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग को जुर्माना जमा कराने को कहा है साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करें अन्यथा इसे गंभीरता से लिया जाएगा. वहीं, कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी को चेतावनी देकर छोड़ा है.
Supreme Court in its judgment today slapped a fine of Rs 1 Lakh each on BJP & Congress and Rs 5 Lakh on NCP and CPM for failing to comply with the Court's earlier directions on making criminal antecedents of election candidates public, during Bihar polls. pic.twitter.com/O1rOIZLGQL
— ANI (@ANI) August 10, 2021
इसके साथ ही राजनीति में अपराधीकर को रोकने के लिए जारी किए दिशा निर्देश
- राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी होगी और मुखपृष्ठ पर एक कैप्शन हो जिसमें लिखा हो ‘पराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार.
- चुनाव आयोग को एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन बनाने का निर्देश, जिसमें उम्मीदवारों द्वारा उनके आपराधिक इतिहास के बारे में प्रकाशित जानकारी शामिल हो.
- चुनाव आयोग सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाए.
- यह सोशल मीडिया, वेबसाइटों, टीवी विज्ञापनों, प्राइम टाइम डिबेट, पैम्फलेट आदि सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर किया जाएगा.
- चुनाव आयोग सेल बनाए जो ये निगरानी करे कि राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया है या नहीं.
- यदि कोई राजनीतिक दल चुनाव आयोग के पास इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो चुनाव आयोग इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देगा
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दलों ने कम प्रसार वाले अखबारों में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जानकारी छपवाई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ज्यादा प्रसार वाले अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में इसका प्रचार करे.
गौरतलब है कि फरवरी 2020 के फैसले के पैरा 4.4 में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आदेश दिया था कि उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटों के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले उनका विवरण प्रकाशित करना होगा. लेकिन आज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों के एलान के 48 घंटे के भीतर मुकदमों की जानकारी देनी होगी.
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करने वाली पार्टियों के चुनाव चिन्ह को फ्रीज या निलंबित रखा जाए. आयोग ने यह सुझाव सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का उल्लंघन के मामले में दिया है.