जेसीबी में आई तकनीकी खराबी के कारण रुका दहल-दिहानी का काम, मौके पर मौजूद रहें एसडीओ समेंत अन्य पदाधिकारीगण…
आदित्यपुर:- जेसीबी पॉकलेन में आई तकनीकी खराबी के कारण शनिवार को आदित्यपुर-2 के मार्ग संख्या 13-14 में आवास बोर्ड के तीन आवंटियों को दखल-कब्जा नहीं दिलाने का काम पूर्ण नहीं हो सका। वहीं उसके बाद दखल दिहानी का काम रुक गया तथा प्रशासनिक टीम वहाँ से वापस लौट गई। हालाँकि इस दौरान भूखंड संख्या-एम-01 के आवंटी के भूखंड को चिह्नित कर उसकी नींव की खुदाई का काम शुरु भी हुआ, जो कि अधूरा रह गया। इससे पूर्व प्रशासनिक टीम जब स्थल पर पहुँची, तो स्थल पर उपस्थित महिला-पुरुषों के द्वारा आवास बोर्ड की कार्रवाई का विरोध शुरु कर दिया गया। इस दौरान स्थानीय लोग संबंधित आवंटियों को अन्यत्र भूखंड पर शिफ्ट करने की गुहार भी लगाते दिखे। परन्तु उनकी अनदेखी करते हुए पुलिस प्रशासन की टीम अपनी कार्रवाई में जुट गई। मौके पर सरायकेला की अनुमंडल पदाधिकारी पारुल सिंह, मुख्यालय डीएसपी चन्दन वत्स, गम्हरिया के बीडीओ प्रवीण कुमार, आवास बोर्ड के कार्यपालक अभियंता सुरेन्द्र कुमार, आरआईटी थाना प्रभारी सागर लाल महथा, आदित्यपुर थाना प्रभारी राजन कुमार, गम्हरिया थाना प्रभारी आलोक दूबे, कान्ड्रा थाना प्रभारी पॉस्कल टोप्पो, ट्रॉफिक थाना प्रभारी राजेश कुमार सिंह सहित सशó पुलिस बल के जवान उपस्थित थे। इधर मामले का विरोध कर रहे पूर्व पार्षद रिंकू राय ने कहा कि यहां बाकी सभी आवंटियों को दुसरी जगह आवास बोर्ड ने जमीन दे दिया है, लेकिन इन तीन लोगो को यहां दखल दिहानी दिलाया जा रहा है। जबकि इस जमीन के लिए कॉलोनी के लोग कोर्ट में केस लड़ रहे है। क्योंकि इस मैदान का प्रयोग सामुहिक उपयोग में किया जाता है। उन्होने कहा कि आवास बोर्ड के नक्सा में भी इसे ओपन प्लेस रखा गया है। बावजूद इसके आवास बोर्ड मनमानी कर रही है।
आरआईटी थाना से पैदल हीं पहुँचा था पुलिस प्रशासन
इससे पूर्व इससे पूर्व भारी संख्या में सशó पुलिस बल के साथ प्रशासनिक टीम आरआईटी थाना से पैदल हीं कतारबद्ध होकर फ्लैग मार्च करते हुए स्थल की ओर रवाना हुई।
हाई कोर्ट के आदेश पर तीन आवंटियों को दिलाना है दखल-कब्जा
झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस प्रशासन के द्वारा आवास बोर्ड के तीन आवंटियों (भूखंड संख्या-एम-01, एम-16 तथा एम-18) को आदित्यपुर-2 के मार्ग संख्या 13-14 स्थित भूखंड पर भौतिक दखल-कब्जा दिया जाना है। आवास बोर्ड के द्वारा वर्ष 2011 में उक्त स्थान पर 20 भूखंड चिह्नित कर उसका आवंटन किया था। परन्तु स्थानीय लोगों के विरोध के कारण आवंटियों को अब-तक दखल-कब्जा प्राप्त नहीं हो पाया है।