डी.बी.एम.एस. कॉलेज ऑफ एजुकेशन में शिक्षक प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया

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Jamshedpur :  डी.बी.एम.एस. कॉलेज के सभागार में दयानंद सागर विश्वविद्यालय और डी.बी.एम.एस. कॉलेज ऑफ एजुकेशन के तत्वावधान में एक कार्यक्रम घटित हुआ | कार्यक्रम के आरंभ में  श्रीनिवास शिंदे चीफ मार्केटिंग ऑफिसर दयानंद सागर विश्वविद्यालय ने आरंभ में दयानंद सागर विश्वविद्यालय और राजबाला फाउंडेशन के संस्थापक का संक्षिप्त परिचय दिया |

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इसके पश्चात डी.बी.एम.एस. की संगीत शिक्षिका श्रीमती अमृता चौधरी एवं बी.एड की छात्राएं निधी कुमारी, श्वेता,शोनिमा घटक,दीक्षा सिंह, सुष्मिता दत्ता ने मिलकर स्वागत गीत का सुंदर प्रस्तुतीकरण किया | डी.बी.एम.एस. ट्रस्ट के चेयरपर्सन  बी.चंद्रशेखर, ललिता चंद्रशेखर, डी.बी.एम.एस. कॉलेज की सचिव श्रीप्रिया धर्मराजन, संयुक्त सचिव तमिलसेल्वी बालाकृष्णन, गीता नटराजन, उपप्राचार्या डॉ.मोनिका उप्पल के साथ सतीश कौशिक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और प्रशिक्षक श्रीनिवास शिंदे ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आरंभ किया। डॉक्टर जूही समर्पिता प्राचार्य डी.बी.एम.एस कॉलेज ने विभिन्न अतिथियों को और शहर के विभिन्न विद्यालयों से आये प्राचार्या और शिक्षकों का  प्राचार्य और शिक्षकों का स्वागत किया साथ ही अपने महाविद्यालय के तमाम शिक्षक कर्मचारी और विशेष कर छात्र-छात्राओं का उन्होंने स्वागत किया |

इसके पश्चात श्रीनिवास शिंदे ने दयानंद सागर विश्विद्यालय के तरफ से डी.बी.एम.एस ट्रस्ट के चेयरपर्सन बी चंद्रशेखर को, डॉ.जूही समर्पिता और सतीश कौशिक को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया |  बी.चंद्रशेखर ने अपने संबोधन से सभी को उर्ज्वस्वित किया और इस प्रकार के कार्यक्रम को बहुत ही लाभदायक बताया | ललिता चंद्रशेखर चेयर पर्सन ने अपने शैक्षणिक जीवन की उपलब्धियां और उसके फायदे जो छात्र छात्राओं और विशेषकर विद्यालय प्रबंधन के लिए हो सकता है उसे बताया | उपप्राचार्या डॉ मोनिका उप्पल ने सतीश कौशिक का परिचय करवाया | तत्पश्चात सतीश कौशिक ने स्लाइड्स के माध्यम से एक बहुत ही ज्ञानवर्धक सत्र का शुरुआत किया | उन्होंने वैज्ञानिक विश्लेषण के माध्यम से छात्रों में तनाव | अकेलापन के कारण शिक्षक छात्रों के बीच के संबंध में आए जो तनाव होते हैं, घटनाएं घटती हैं उसके ऊपर उन्होंने अपने स्लाइड्स के द्वारा छात्र छात्राओं को और सभागार में उपस्थित सभी प्राचार्य और शिक्षक शिक्षिकाओं विस्तार से बताया | व्यस्क शिक्षा क्यों आवश्यक है ? जो बच्चे किशोरावस्था में है उनके लिए शिक्षा और शिक्षण कठिन होते जा रहा है उसके ऊपर  कौशिक ने विशेष बल दिया |

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जीवन में सामंजस्य स्थापित करना हम सभी की जिम्मेवारी है इसका कई उदाहरणों से  कौशिक ने सभागार में सभी विद्वत जनों को प्रश्नोत्तर के माध्यम से बहुत ही सरल और रुचि पूर्ण ढंग से बताया | जीवन में आनंद के लिए किस प्रकार हमें अपने आप से एक वार्तालाप स्थापित करना चाहिए यानि आत्म विश्लेषण करना आवश्यक है उसके ऊपर भी उन्होंने प्रकाश डाला | एक गीत की प्रस्तुति की गयी जिससे श्रोताओं में काफी आनंद का अनुभव हुआ | बी.एड की छात्रा निपुणअर्चिता खाखा ने सत्र का सार संक्षेप्त प्रस्तुतीकरण किया और विस्तार से उन्होंने पूरे कार्यक्रम के बारे में उपस्थित दर्शकों और श्रोताओं को बताया | इसके पश्चात दूसरा सत्र आरंभ हुआ इसमें  सतीश कौशिक ने अपनी पत्नी राजबाला जी के कैंसर से पीड़ित अवस्था और चिकित्सा पर आधारित एक फिल्म दिखाई जिसका उद्देश्य था जीवन में संघर्ष एक अहम हिस्सा है और उस पर विजय प्राप्त कर मनुष्य को आगे बढ़ना उसका दायित्व है। कार्यक्रम के पश्चात श्री निवास शिंदे ने आज के कार्यक्रम की सफलता हेतु कॉलेज के प्रबंधन और सभी आगत अतिथियों तथा छात्र -छात्राओं के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में सभी शिक्षिका और शिक्षक डॉ.अरुण सज्जन, पामेला घोष दत्ता, सूरीना भुल्लर सिंह, पूनम कुमारी,  अर्चना कुमारी, गायत्री कुमारी, ईवा शिप्रा मुंडू, कंचन कुमारी, मौसमी दत्ता, अंजलि गणेशन, निक्की सिंह, अभिजीत दे,  ललित किशोर, सुदीप प्रमाणिक,  बिरेन्द्र पांडे, आदि ने सफल बनाया |

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