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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-माँ का स्कंदमाता का रूप मन को मोह लेने वाला है। उनकी चार भुजाएं हैं, जिसमें देवी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए हुए हैं। इसके अलावा नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प है। स्कंदमाता की पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहा फल प्राप्त हो सकता है और इनका वाहन सिंह है।

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इस मंत्र से करें माँ की आराधना, सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

पंचांग के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 50 मिनट तक है, नवरात्रि के पांचवे दिन सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थान में चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें, गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्के डालें और उसे चौकी पर रखें अब पूजा का संकल्प लें, इसके बाद स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाकर नैवेद्य अर्पित करें अब धूप-दीपक से मां की आरती और मंत्र जाप करें स्कंद माता को सफेद रंग बहुत प्रिय है इसलिए भक्त सफेद रंग के कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं मान्यता है कि ऐसा करने से मां सदा निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं

मां स्कंदमाता की आरती ऐसा कर सकते हैं,जय तेरी हो स्कंद माता।पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।

जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।

हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाडो पर है डेरा।

कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।

भक्त की आस पुजाने आयी॥

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