जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में विश्व आदिवासी दिवस का समारोह संपन्न

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जमशेदपुर : कुलपति प्रो. (डॉ.) अंजिला गुप्ता ने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस मूल निवासी आदिवासी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। विश्व के सभी आदिवासी समूहों के लिए अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस नई ऊर्जा और प्रेरणा लेकर आता है। विश्व का अन्य समूहों को भी वो आज के दिन पर्यावरण की रक्षा का संदेश देते हैं। पृथ्वी माता ने उन्हें अपने पहले संतान के रूप में स्थान दिया है, यही कारण है कि अपनी पुरातन किंतु पृथ्वी माता के ज्यादा निकट वाली वेश–भूषा और रीति–रिवाजों के साथ लगभग हर कोने में आज भी प्रकृति के रक्षक और प्रहरी बनकर खड़े हैं। विश्व आदिवासी दिवस मनाने की पहली घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में किया गया था। विशेष रूप से, इसे भारत के मूल निवासी अर्थात आदिवासियों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। आदिवासियों का अपना धर्म भी है और मुख्य ये प्रकृति पूजक है और वन पर्वत नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं। झारखंड के आदिवासियों का कुछ प्रमुख पर्व टुसू, सरहुल, करमा, माघे है।

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छात्राओं ने किया आदिवासी सांस्कृतिक नृत्य एवं रैंप वॉक

जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों की छात्राओं के द्वारा सांस्कृतिक नृत्यों का आयोजन किया गया एवं रैंप वॉक के द्वारा भारत के विभिन्न जनजातीय समुदायों की संस्कृति को प्रस्तुत किया गया।

छात्राओं द्वारा आदिवासी सांस्कृतिक पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाई गई

छात्राओं द्वारा झारखंड की जनजातीय पेंटिंग जिसमें वर्ली आर्ट, सोहराय पेंटिंग, अफ्रीकन जनजातीय पेंटिंग की प्रदर्शनी भी लगायी गई। साथ ही, झारखंड में विभिन्न जनजातीय समुदायों के खान-पान के चित्रों को भी प्रदर्शित किया गया। राजनीति विज्ञान विभाग, भूगोल विभाग, हिंदी विभाग, अंग्रेजी विभाग, इतिहास विभाग, शिक्षा विभाग आदि की छात्राओं ने बढ़ चढ़कर विश्व आदिवासी दिवस के आयोजन में हिस्सा लिया।

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