क्या लोगों के हित के लिए प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा कर सकती है सरकार? सुप्रीम कोर्ट में जमकर हुई बहस, फिर…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ जजों की बेंच ने ये टिप्पणी की. दरअसल, मुंबई के प्रॉपर्टी ऑनर्स एसोसिएशन (पीओए) समेत कई याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि संविधान के अनुच्छेद 39बी और 31सी की संवैधानिक योजनाओं की आड़ में सरकार निजी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकती.
देश में संपत्ति बंटवारे पर मचे राजनीतिक घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कहना खतरनाक होगा कि किसी शख्स की निजी संपत्ति पर किसी संगठन या सरकार का हक नहीं माना जा सकता. साथ ही ये कहना भी खतरनाक होगा कि लोक कल्याण के लिए सरकार इसे अपने कब्जे में नहीं ले सकती. कोर्ट ने कहा कि संविधान का मकसद सामाजिक बदलाव की भावना लाना है.

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ जजों की बेंच ने ये टिप्पणी की. दरअसल, मुंबई के प्रॉपर्टी ऑनर्स एसोसिएशन (पीओए) समेत कई याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि संविधान के अनुच्छेद 39बी और 31सी की संवैधानिक योजनाओं की आड़ में सरकार निजी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकती.

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार कर रही है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39बी के तहत समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है या नहीं. बेंच ने कहा कि ये सुझाव देना शेखी बघारने जैसा होगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का मतलब केवल सार्वजनिक संसाधनों से है और किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति से नहीं है.
ऐसा सोचना क्यों खतरनाक है, इस बारे में समझाते हुए बेंच ने कहा कि हमारे लिए ये कहना कि अनुच्छेद 39बी के तहत प्राइवेट फॉरेस्ट पर सरकारी नीतियां लागू नहीं होंगी, इसलिए इससे दूर रहें, ये बहुत खतरनाक होगा

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