डॉक्टर ओपी आनंद प्रकरण एवं राँची के पत्रकार को प्रताड़ित करने के मामले पर भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी की स्वास्थ्य मंत्री एवं राज्य सरकार को नसीहत, सोशल मीडिया के जरिये आग्रह

Advertisements

जमशेदपुर / राँची :- सरायकेला जिला स्थित अस्पताल 111 के मामले में संचालक डॉ ओपी आनंद के गिरफ्तारी के बाद राजनीती गर्म हो गई है और समाजसेवी के साथ राजनितिक पार्टियों से भी लोग खुल कर समर्थन करने लगे है . बता दें की  भाजपा नेता कुणाल षाडंगी ने सोशल मीडिया पर सरकार से अपील करते हुए लिखा है कि :-

Advertisements

https://www.facebook.com/1377278982598711/posts/2968086413517952/

“क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो,
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित विनीत सरल हो।”

पिछले कई दिनों से आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ़ अस्पताल प्रकरण पर स्थानीय प्रशासन, सरकार और डॉ. ओपी आनंद के बीच बयानों के आदान प्रदान और गतिरोध की खबरें पढ़ रहा हूँ। और अब इस #कोरोनाकाल में एक डॉक्टर की गिरफ़्तारी और एक और अस्पताल को बंद करने का तमग़ा भी स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार को मिल चुका है।

अगर चंद प्राईवेट अस्पतालों में ग़रीबों का दोहन हुआ है तो निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए लेकिन इसका यह बिल्कुल भी मतलब नहीं कि कोविड काल में जाँच के नाम पर अस्पताल प्रबंधन को लगातार परेशान किया जाए और आम जनमानस के बीच यह पूरी कार्यवाही विभागीय उगाही की प्रक्रिया के रूप में जानी जाने लगे। मैं व्यक्तिगत रूप से यह अनुरोध करता हूँ कि इस मामले को अब विराम देना चाहिए। बन्ना गुप्ता जी आपसे अनुरोध है कि दरियादिली दिखायें और स्वयं आगे बढ़कर इस मामले का पटाक्षेप कराने का निर्देश दें। खासकर जब खुद आपके कार्यालय इंचार्ज पर नियम को ताक पर रखकर अपने लोगों के जबरन टीकाकरण करवाने का आरोप लग चुका है और उसमें कोई पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई है।ऐसा कोई काम न हो कि साफ साफ सत्ता की धौंस दिखे, एक के लिए कानून कुछ और दूसरे के लिए कुछ नज़र आए। खासकर जब बतौर स्वास्थ्य मंत्री आप तमाम कोशिशों के वावजूद एमजीएम समेत तमाम सरकारी अस्पतालों की कुव्यवस्था को नहीं बदल सके हैं तो ऐसे में एकतरफा प्राईवेट और वो भी चुनिंदा प्राईवेट अस्पतालों पर कार्रवाई कई सवाल खड़े करती है।रांची में नियमों की धज्जियां उड़ा रहे और ग़रीबों को खुले आम लूट रहे अस्पतालों पर चुप्पी और यहाँ तक कि कुछ प्राइवेट अस्पतालों को रेमडेसिविर समेत अन्य आवश्यक सप्लाई में सरकारी प्राधान्य मिलने की बात सर्वविदित है। पर यहाँ जमशेदपुर में एक अस्पताल पर इतनी बड़ी कार्रवाई और वह भी तब जब डॉ आनंद ने माफी मांग ली, किसी को पच नहीं रहा है।डॉ आनंद ने गाली से पहले एक अहम मुद्दा उठाया है कि एक मंत्री और विधायक के लिए करोड़ों खर्च होते हैं और आम जनता के लिए सरकार 6000 रू प्रति दिन का रेट तय करती है, सरकार जनता को वैसी सुविधा क्यों नहीं देती।आखिर किन परिस्थितियों में और कहां से नर्सिंग होम या डॉक्टर एक इंजेक्शन 5600 रू खरीद रहे हैं और उधर एक दिन के बेड का रेट 6000 रू तय हो जाता है, इस पर भी पारदर्शिता के साथ चर्चा होनी चाहिए

See also  कार ने साइकिल सवार सिक्योरिटी गार्ड को मारी ठोकर, मौत

जबरन कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी विभिन्न थानों में कोरोना योद्धा चिकित्सक के विरुद्ध शिकायत दर्ज़ कराने से परहेज़ करना चाहिए। यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। हमारे राज्य में स्वास्थ्य संसाधनों का अभाव सर्वविदित है। ऐसे में सीमित संसाधनों के बीच कोरोना से जंग जीतनी है।

111सेव लाइफ़ अस्पताल ने यदि सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक वसूला है तो प्रबंधन को स्वतः इसकी समीक्षा करते हुए जरूरी सुधार करनी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री एवं प्रशासन के विरुद्ध एक भावनात्मक आवेश में आकर उन्होंने ग़लत शब्दों का चयन किया यह मैंने स्वीकार करता हूँ। इसे लेकर डॉ. आनंद पहले ही माफ़ी माँग चुके हैं। पुनः एकबार और माफ़ी लेंगे लेकिन बड़े भाई व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना जी से मेरा व्यक्तिगत आग्रह होगा कि स्वयं पहल करें और उस प्रकरण का पटाक्षेप करें। डॉक्टर की एक गलती उनके पूर्व के योगदानों को शून्य ना करे, इसकी चिंता सरकार को भी करनी चाहिए। पिछले 1 वर्ष में कोरोना संक्रमण के बीच 111 सेव लाइफ अस्पताल ने उल्लेखनीय योगदान दिया है, इसे भी याद रखने की जरूरत है। एक कोरोना योद्धा को यूँ प्रताड़ित करने से सरकार की साख पर भी असर होगा और जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी। उम्मीद है कि इस दिशा में पहल होगी। आग्रह होगा कि इस प्रकरण को विराम दिया जाए और इसके पटाक्षेप के लिए जो क़ानूनी पहल की आवश्यकता है वो पहल अविलंब शुरू हो।

इधर कोरोना काल में लगातार पत्रकार बंधुओं के खिलाफ विभिन्न जिलों में झूठे केस दायर करने की सूचनाएं मिल रही हैं।कईयों को जेल भी भेजा गया है और कईयों को प्रताड़ित किया जा रहा है।कल ही वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण बिहारी मिश्र को रांची के कोतवाली थाने में महज इसलिए बुलाकर हड़काया गया क्योंकि उन्होंने रेमडिसिविर के मामलों को लेकर झारखंड पुलिस की भेदभावपूर्ण कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए अपनी रिपोर्ट लिखी थी। जबकि यही सवाल हाई कोर्ट भी उठा चुका है। ये एक गलत परंपरा की शुरूआत है जिसके तहत कोरोना योद्धाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है।माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वे स्वयं संज्ञान लेकर सुनिश्चित करें कि इस तरह के कृत्य की पुनरावृत्ति न हो।

See also  गोलमुरी बाजार लाइन के सास-ससुर गए थे कुंभ में स्नान करने और बहू ने कर लिया सुसाइड

कुणाल षडंगी

 

अब इस अपील के बाद देखना ये है कि आगे की क्या कार्रवाई की जाती है .

You may have missed