राम नवमी पर राममय हुआ बंगाल: दो हजार से ज्यादा रैलियों के साथ भक्ति, सियासत और सुरक्षा एक साथ मैदान में…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क: कोलकाता से राम नवमी के पावन पर्व पर पश्चिम बंगाल इस बार पूरी तरह राममय हो गया है। रविवार सुबह से ही राज्य के कोने-कोने में रैलियों और धार्मिक आयोजनों की गूंज सुनाई दे रही है। भगवा झंडों से सजी सड़कें, श्रीराम की मूर्तियों और जयघोषों से गूंजता वातावरण—हर दृश्य इस बात का प्रमाण है कि बंगाल में रामनवमी अब एक विशाल जनआंदोलन का रूप ले चुकी है।


दो हजार से ज्यादा रैलियों का आयोजन, डेढ़ करोड़ लोगों की भागीदारी का दावा
राज्य प्रशासन के अनुसार इस बार बंगाल में दो हजार से अधिक राम नवमी रैलियां निकाली जाएंगी, जिनमें विश्व हिंदू परिषद, हिंदू जागरण मंच और संघ से जुड़े संगठन भी सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। इन संगठनों ने अगले एक सप्ताह तक चलने वाले उत्सव में तीन करोड़ से अधिक लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
राजधानी कोलकाता में 60 से ज्यादा रैलियां, भारी पुलिस बल तैनात
कोलकाता में ही 60 से अधिक जुलूसों का आयोजन होना है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है। लगभग 4000-5000 पुलिसकर्मी, ड्रोन से निगरानी, सीसीटीवी फुटेज की लाइव मॉनिटरिंग और सीनियर ऑफिसर—सभी मोर्चे पर तैनात हैं। डिप्टी कमिश्नर से लेकर जॉइंट कमिश्नर रैंक तक के अधिकारी हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
नेताओं की भागीदारी और सियासी बयानबाज़ी
बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने दावा किया कि लाखों लोग सड़कों पर राम नाम के साथ उतरेंगे। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि त्योहार शांतिपूर्वक और गरिमापूर्ण ढंग से मनाया जा सके, इसके लिए हरसंभव कदम उठाए जाएं। वहीं, विधानसभा में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने अपने क्षेत्र नंदीग्राम में राम मंदिर निर्माण की नींव रखी।
टीएमसी का पलटवार: “धर्म की आड़ में राजनीति!”
टीएमसी ने इस पूरे आयोजन पर सवाल खड़े करते हुए भाजपा पर धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा राम नवमी जैसे धार्मिक त्योहार को राजनीतिक रंग दे रही है, जिससे सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
राज्यपाल ने की शांति की अपील
इस बीच बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने राज्यवासियों को राम नवमी की शुभकामनाएं देते हुए आग्रह किया कि त्योहार को सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण ढंग से मनाया जाए।
बंगाल में इस बार राम नवमी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जनभावनाओं, सियासत और प्रशासनिक सतर्कता का त्रिकोण बनकर उभरी है। एक तरफ श्रद्धालु राम नाम में डूबे हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक गलियारे गर्म हैं। ऐसे में प्रशासन की भूमिका बेहद अहम हो गई है कि वह भक्ति और व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखे।
