शीतला अष्टमी का व्रत कर बचें संक्रमण बीमारियों से, इस व्रत में बासी खाना खाने की परंपरा



Adityapur : शीतला अष्टमी का त्योहार होली के बाद मनाया जाता है. कुछ लोग इसे सप्तमी तो कुछ लोग अष्टमी के दिन भी मनाते हैं. दोनों ही दिन माता शीतला को समर्पित हैं. पौराणिक मान्यता है कि ये व्रत सेहत के लिए फायदेमंद होता है. इस दिन व्रत और शीतला माता की पूजा करने वालो को संक्रमण से भी बचाया जा सकता है. इसे स्थानीय भाषा में बासौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा नामों से भी जाना जाता है. शीतला अष्टमी 22 मार्च 2025 को है. शीतला अष्टमी उत्तर भारतीय राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में अधिक लोकप्रिय है. ऐसा माना जाता है कि, देवी शीतला चेचक, खसरा आदि रोगों को नियन्त्रित करती हैं तथा लोग इन रोगों के प्रकोप से सुरक्षा के लिए उनकी पूजा-आराधना करते हैं. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च 2025 को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 23 मार्च 2025 को सुबह 5 बजकर 23 पर समाप्त होगी. जबकि शीतला सप्तमी 21 मार्च 2025 को है. इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह 6.21 मिनट से शुरू होकर शाम 6.32 मिनट पर समाप्त होता है. इस बासोड़ा पर्व की परम्परा के अनुसार, इस दिन घरों में भोजन पकाने हेतु अग्नि नहीं जलायी जाती है, इसीलिये अधिकांश परिवार एक दिन पूर्व भोजन बनाते हैं तथा शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन का सेवन करते हैं. कहा जाता है शीतला माता शीतलता की देवी है इसलिए व्रत करने वालों को इस दिन गर्म चीजें खाने, पूजा में इस्तेमाल करने की मनाही होती है.

