तिहाड़ जेल से आज रिहा हो सकते हैं अरविंद केजरीवाल,मिली जमानत…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी। कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को गुरुवार को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। वहीं अदालत ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं। इसके मुताबिक केजरीवाल जांच में बाधा पैदा नहीं करेंगे और न ही गवाहों को प्रभावित करेंगे।
दिल्ली शराब घोटाला मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी है। कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को गुरुवार को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। गुरुवार रात आठ बजे कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुनाया। इससे पहले कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं
वहीं, अदालत ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं। इसके मुताबिक केजरीवाल जांच में बाधा पैदा नहीं करेंगे और न ही गवाहों को प्रभावित करेंगे, जरूरत पड़ने पर अदालत में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे। ईडी के विशेष अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने जमानत पर बेल बांड स्वीकार करने के लिए दो दिन की अवधि तय करने की मांग की, ताकि हाई कोर्ट में आदेश के खिलाफ अपील की जा सके। लेकिन, अदालत ने जमानत आदेश पर 48 घंटे के लिए रोक लगाने की ईडी की अपील को भी खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि जमानत आदेश पर कोई रोक नहीं हैं।
आज केजरीवाल तिहाड़ जेल से रिहा हो सकते हैं
केजरीवाल के अधिवक्ता शुक्रवार को संबंधित न्यायाधीश के समक्ष जमानत बांड के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसे में उम्मीद है कि शुक्रवार को प्रक्रिया पूरी कर केजरीवाल तिहाड़ जेल से रिहा हो सकते हैं। सुनवाई के दौरान ईडी ने केजरीवाल को अपराध की आय और सह-अभियुक्तों से जोड़ने की मांग की थी, जबकि बचाव पक्ष ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष के पास केजरीवाल को फंसाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है।
ईडी से केजरीवाल ने कहा था- मैं मोबाइल का पासवर्ड नहीं बताऊंगा
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दलील दी कि सात नवंबर, 2021 को केजरीवाल विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान गोवा के होटल ग्रैंड हयात में रुके थे और बिल का भुगतान सह-आरोपित चनप्रीत सिंह ने किया था। चनप्रीत ने उद्यमियों से भारी मात्रा में नकद राशि प्राप्त की थी।
ईडी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वह हवा में जांच कर रही है, मामले में ठोस सुबूत हैं। सह-आरोपित विनोद चौहान के फोन से नोट के फोटोग्राफ मिले हैं, जो कि दिए गए थे। चनप्रीत लगातार विनोद से बातें करता था। विनोद के केजरीवाल से अच्छे संबंध थे।
केजरीवाल कहते हैं कि मेरे फोन में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। मैं पासवर्ड नहीं बताऊंगा। इसलिए विनोद के फोन का सहारा लेना पड़ा। सह-आरोपित विजय नायर, जो कि सरकार से जुड़ा भी नहीं था और आबकारी नीति बनाने में उसका कोई काम नहीं था, उसे केजरीवाल ने बिचौलिये के तौर पर इस्तेमाल किया।
सीबीआइ को निर्देशित करना ईडी का काम नहीं
ईडी की दलीलों का खंडन करते हुए केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि आज की तारीख में केजरीवाल सीबीआइ मामले में आरोपित नहीं हैं और इसके विपरीत रिकार्ड में यह बात है कि सीबीआइ ने उन्हें गवाह के तौर पर बुलाया था। सीबीआइ को निर्देशित करना ईडी का काम नहीं है।
चौधरी ने सवाल किए कि उनके मुवक्किल को पहले क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया, 21 मार्च को ही क्यों गिरफ्तारी हुई, आखिर ईडी केजरीवाल से क्या चाहती थी? ईडी स्वतंत्र एजेंसी है या कुछ राजनीतिक आकाओं के हाथों में खेल रही है?
चनप्रीत सिंह ने कहीं यह नहीं कहा है कि उसने आम आदमी पार्टी के गोवा चुनाव के लिए पैसे दिए या उसने अपराध से पैसे एकत्र किए। विनोद चौहान, जो सीधे केजरीवाल के संपर्क में थे, उनके फोन से एक टोकन नंबर बरामद किया गया है। दो चैट संदेश ईडी ने निकालीं, आखिर वे पैसे के हस्तांतरण को कैसे साबित कर सकते हैं। चैट का आबकारी नीति, रिश्वत या गोवा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। सिर्फ इसलिए कि विनोद चौहान के फोन में अधिकारियों की पोस्टिंग के आर्डर है और ये मान लिया गया कि केजरीवाल ने पोस्टिंग की है।
आतिशी और सौरभ भारद्वाज का भी आया नाम
सिर्फ इसलिए कि विजय नायर मंत्री कैलाश गहलोत के घर में एक कमरे में रह रहे थे, यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि केजरीवाल और उनके बीच कोई निकटता या संबंध था। विजय नायर ने खुद वर्ष 2022 में बयान में कहा था कि वो आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करते थे, लेकिन ईडी लगातार कह रही है कि वो केजरीवाल के आदेश के तहत थे। इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि केजरीवाल ने नायर को कभी रिश्वत लेने या कोई बैठक करने का निर्देश दिया हो।
गिरफ्तारी से जमानत तक
– अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।
– 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिन के लिए अंतरिम जमानत दी थी।
-दो जून को अवधि खत्म होने पर सीएम ने तिहाड़ जेल में सरेंडर किया।
क्या है मामला
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू कर सरकार के राजस्व में वृद्धि होने का दावा किया था। जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। इस पर सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की थी और सीबीआइ की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
जांच की सिफारिश के बाद 30 जुलाई, 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी। सीबीआइ और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
केजरीवाल पर आरोप
ईडी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल आबकारी घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता हैं। वह कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की साजिश में शामिल थे और इस लाभ के बदले शराब व्यवसायियों से रिश्वत की मांग की गई। आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में अपराध की आय का इस्तेमाल किया, जिसमें केजरीवाल मुख्य निर्णयकर्ता हैं।