एनीमिया एक ज्वलंत स्वास्थ्य समस्या … जानें स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आशा गुप्ता से इससे बचने के उपाय…

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डॉ आशा गुप्ता प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ FOGSI Member (Member of Federation of Obstetrics and Gynecological Society of India) JOGS Jr Treasurer ( Jamshedpur Obstretics and gynaecological society) एवं साहित्यकार, कवयित्री जमशेदपूर, झारखंड

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लोक आलोक न्यूज / हेल्थ :- एनीमिया शरीर में एक बीमारी की स्थिति है जिसमें शरीर में लाल रक्त कणों की कमी होती है इसे रक्ताल्पता या खून की कमी भी कहा जाता है । एक स्त्री का रक्त लौह 11.6 से 15 gm / dl जबकि एक पुरूष का लौह 13.2 से 16.6 gm / dl रहना चाहिए। इससे कम की स्थिति को अनीमिया कहते हैं।
न्यूनतम सीमा से लौह मात्रा जितना कम होगा, एनीमिया उतना ज्यादा होगा। अपने पेशे में हम डॉक्टर न्यूनतम यानि 2 से 3 ग्राम आयरन भी देखते हैं। स्त्रियों में प्राय: 7 से 10 ग्राम आयरन दिखता है, जो औसत से कम है।

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रक्त कण शरीर के कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाते हैं ,और इनकी कमी से शरीर के कोशिकाओं को सही मात्रा में आक्सीजन नहीं मिल पाता है ,जिससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ शुरू होती है, और ग्रसित की शारीरिक क्षमता कम होती है। हमारे देश भारत में 60 से 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलायें और बच्चियाँ एनीमिया से ग्रसित रहती हैं। और 25 प्रतिशत से ज्यादा पुरूष ( 15 से 49 वर्ष) ,बच्चों में 67 प्रतिशत से ज्यादा।
स्त्रियों एवं लड़कियों में इसका कारण मासिक स्राव एवं उससे संबंधित कुछ बीमारियां और गर्भवास्था में माँ और गर्भ के शिशु की आयरन की ज्यादा आवश्यकता और प्रसव के समय रक्त की बहुत हानि आदि है। गर्भ के समय अनीमिया से शिशु के विकास में कमी होती है। और शिशु जन्म के समय कमजोर होता है। ज्यादा अनीमिया से माता की मृत्यु भी हो जाती है। जिंदगी बचाने के लिए खून/ रक्त चढा़ना पड़ता है । अनीमिया का सबसे पहला कारण स्त्रियों द्वारा खानपान में स्वयं के प्रति लापरवाही और पौष्टिक भोजन की कमी इत्यादि है। साथ ही फास्ट फूड का चलन। पौष्टिक खान पान की कमी से अनेक बालक, युवा और पुरूष और बड़े बुढ़े भी अनीमिया से ग्रसित होते हैं। जब शरीर में रक्त उचित मात्रा में रहता है, तब व्यक्ति में बीमारियों से लड़ने की क्षमता अच्छी रहती है।

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एनीमिया के कारण क्या है :-

1.लौह कणों में कमी -सबसे बड़ा कारण शरीर में रक्त कणों की कमी ,शरीर में आयरन याने लौह मात्रा में कमी
इसका कारण है रक्त स्राव याने की रक्त की हानि,रक्त कणों का ह्रास ,रक्त कणों के बनने में कमी ,हड्डियों में आयरन रिजर्व याने लौह मात्रा की कमी , रक्त कणों के अलग बनावट जैसे सिकेल सेल अनीमिया ,रक्त संबंधित बिमारियाँ आदि हैं।

2.शरीर में विटामिन B12 की कमी.

3 फ़ोलेट विटामिन की कमी

a. इसका सबसे बड़ा कारण खानपान में आयरन की कमी,अपौष्टिक भोजन, फास्ट फूड का चलन, उचित खानपान का महत्व ना समझना, महिलायें परिवार के सदस्यों, बच्चों को खिलाकर, बाद में ज्यादातर चावल रोटी कुछ के भी साथ लेती हैं।

b. बड़ी बिमारियाँ –,मलेरिया, टी बी, एच आई भी, पेट में कीड़ों से ग्रसित, थायरायड समस्या, कैंसर ,खून की बिमारी,जेनेटिक बिमारी इत्यादि ।

एनीमिया के लक्षण :-
उसके स्तर पर निर्भर करता है। कमजोरी लगना , थकावट होना, दिल में धड़कन बढ़ना, शरीर में कमजोरी ,सूनापन लगना, चक्कर आना, सुस्ती लगना आदि…

ज्यादा खून की कमी होने पर आंखों में सफेदी में नीलापन आना, नाखून का कमजोर होना प्रमुख लक्षण हैं ।
लोगों में बर्फ या खाने से अलग तरह की चीजें खाने की प्रकृति होती है जिसे pica syndrome कहते हैं। सर में हल्का पन होना, चमड़ी का रंग हल्का पीलापन होना, थोड़े से चलने या काम करने में हॉफना, जीभ में सूजन होना, मुंह में घाव छाले होना इत्यादि। समय पर इलाज ना होने पर अनेक बिमारियों का होना आदि शामिल है।

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अनीमिया से बचने या दूर करने के विशेष उपाय :-

पौष्टिक संतुलित भोजन
सर्वप्रथम शरीर में आयरन याने लौह की मात्रा बढ़ाने का उपाय करना
साथ ही विटामिन बी 12 और फोलेट की मात्रा भी बढा़ना चाहिए ,विटामिन सी से भरे फल सब्जियां याने पौष्टिकता से भरा भोजन सेवन करना चाहिए
उचित खानपान में सुधार से बहुत हद तक अनीमिया को दूर किया जा सकता है,और इससे ग्रसित होने से बचा जा सकता है। फालतू पेय पदार्थ एवं फास्ट फूड का नियंत्रण करना चाहिए ।

लौह /आयरन से भरे भोजन का सेवन —
आयरन के लिए
शाकाहारी हरे पत्तेदार सब्जी,
साग जैसे चौलाई, मेथी, सरसों, बथुआ, कलमी सूखे सेम, सूखे फल और बीज

अनाज :-
गेहूं के ज्वारे ,बाजरा ,रागी का सेवन ( बाजरा, रागी, मडूआ में बहुत आयरन रहता है।
टोफू, सोया ,सोयाबीन..

दाल की मात्रा बढ़ाना चाहिए ,काली दाल, मसूर दाल आदि
गुड़ चना, केला फल ,अनार, सुगर बीट आदि

माँसाहारी भोजन में, माँस, चिकन, मछली, अंडा आदि का सेवन

फोलेट के लिए:- गहरे पत्तेदार सब्जी, गेहूँ के ज्वार, संतरे का जूस ,नारंगी, आँवला, फालसा, कीनू ,अनार आदि

विटामिन सी भी अनीमिया में आयरन को शरीर में बढ़ाने में मदद करता है, इसके लिए, खट्टे फल, ताजा कच्चे सब्जी, अंकुरित बीजों के सलाद ,सलाद का सेवन , जैसे संतरे का जूस, नारंगी,कीनू,आँवला ,फालसा . इमली आदि

विटामिन बी 12 के लिए

दुध, दुध से बना दही, डेयरी आदि, अंडा, मछली, माँस इत्यादि

ईलाज :–
आयरन, एवं जरूरी विटामिन
एनीमिया के किसी भी लक्षण के आने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लेना चाहिए। जो आपकी जाँच के बाद शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए आयरन के साथ पौष्टिक विटामिन प्रोटीन कुछ माह लगातार खाने की सलाह देते हैं। शरीर में आयरन रिजर्व बढ़ाना आवश्यक होता है। तभी एनीमिया दूर होगा। इसलिए गर्भवती स्त्रियों को गर्भ के समय या प्रसव के बाद भी आयरन आदि दिया जाता है। इसी तरह लड़कियों और युवतियों को भी अपने खानपान पर ध्यान रखना चाहिए। लड़कों , पुरूषों ,बुजूर्गों में भी खानपान की कमी या बिमारियों से एनीमिया होता है। और इस तरह सही भोजन, समय पर जाँच और ईलाज से अनीमिया से उत्पन्न अनेक शारीरिक कष्टों, परेशानियों से बचा जा सकता है,और स्वयं को अपनी संतानों को बुजूर्गों को ,परिवार को स्वस्थ रखा जा सकता है। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन ही जीवन का मूल मंत्र है।

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