चांडिल क्षेत्र में प्रदूषण की भयावह स्थिति के बीच ग्रामीणों में आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू
चांडिल : चांडिल क्षेत्र में प्रदूषण की भयावह स्थिति के बीच ग्रामीणों में आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. विनाशकारी प्रदूषण के खिलाफ ग्रामीण जल्द ही अपने आंदोलन का आगाज करने वाले हैं. इसके लिए गांव-गांव में बैठकों का दौर शुरू हो गया है. बैठक में ग्रामीण प्रदूषण के कारण हो रही जान व माल के नुकसान पर चर्चा कर रहे हैं. वहीं इसे रोकने के लिए सरकार व विभाग की ओर से कारगर कदम नहीं उठाए जाने पर आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं. क्षेत्र में स्थापित स्पंज आयरन कंपनियों में प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं रखने के कारण पूरे क्षेत्र की जनता त्राहिमाम कर रही है.
क्षेत्र में स्थित स्पंज आयरन कंपनियों से होने वाली प्रदूषण के कारण लोग बीमार होने लगे हैं. कंपनियों से उड़ने वाली काली धूलकण वायु को दूषित कर रहा है वहीं तालाब व कुंआ के पानी को भी दूषित कर रहा है. तालाब व कुंआ के पानी के ऊपर काली परत जम जा रही है. इससे कुंआ का पानी-पीने से जहां इंसान बीमार हो रहे हैं, वहीं तालाब का पानी पशु-पक्षियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है. इन सब के बावजूद लंबे समय से कंपनियों से प्रदूषण फैलाने का सिलसिला जारी है. प्रदूषण के कारण क्षेत्र में लाह का उत्पादन ठप पड़ गया है, वहीं पेडों के पत्तों का रंग काला नजर आने लगा है.
प्रदूषण को लेकर कई बार आंदोलन किया गया. राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, समाजसेवी व ग्रामीणों ने सामुहिक रूप से आंदोलनों का नेतृत्व किया. हर बाद आंदोलन बगैर नतीजा के ही समाप्त हो जाता है. इसके बाद राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता व समाजसेवियों को प्रदूषण का दुष्प्रभाव दिखाई नहीं देता है. प्रदूषण को लेकर उच्च न्यायालय में मामला भी दर्ज कराया गया, इसके बाद भी ग्रामीण अब भी बदस्तूर प्रदूषण का दंश झेल रहे हैं. अब देखना है कि इस बार शुरू हुए सुगबुगाहट से कितना बड़ा आंदोलन खड़ा होता है. आंदोलन से कुछ नतीजा निकलेगा या बगैर नतीजा के आंदोलनों की लिस्ट में एक और संख्या जुड़ जाएगा.