कोल्हान विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितता का आरोप: बिना सेवा विस्तार शिक्षकों को मिला वेतन, राजभवन ने मांगा जवाब

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जमशेदपुर/ कोल्हान :- कोल्हान विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। इस बार मामला संविदा आधारित बीएड और वोकेशनल शिक्षकों के मानदेय भुगतान से जुड़ा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन शिक्षकों का सेवा विस्तार पिछले आठ महीनों से रोक रखा था, लेकिन इसके बावजूद तीन माह का वेतन भुगतान कर दिया गया। अब इस मामले में विश्वविद्यालय को राजभवन को जवाब देना होगा कि जब शिक्षकों को औपचारिक रूप से सेवा विस्तार दिया ही नहीं गया, तो उन्हें वेतन का भुगतान किस आधार पर किया गया।

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राजभवन की सख्ती: वित्तीय अनियमितता पर जवाब तलब

राजभवन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है। जारी पत्र में स्पष्ट रूप से पूछा गया है कि जब शिक्षकों का सेवा नवीनीकरण हुआ ही नहीं, तो उनके वेतन का भुगतान क्यों और कैसे किया गया? क्या इसे वित्तीय अनियमितता नहीं माना जाए? राजभवन की इस सख्ती के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर जवाबदेही का दबाव बढ़ गया है।

भुगतान रोकने के आदेश, शिक्षक असमंजस में

राजभवन के हस्तक्षेप के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षकों के आगे के वेतन भुगतान की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इससे शिक्षकों के समक्ष एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। पहले बिना सेवा विस्तार के वेतन भुगतान किया गया और अब जब मामला उजागर हुआ, तो आगे के भुगतान को रोक दिया गया। इससे शिक्षकों में असमंजस और असंतोष की स्थिति बन गई है।

जांच की जरूरत, पारदर्शिता पर सवाल

यह पूरा मामला कोल्हान विश्वविद्यालय में प्रशासनिक लापरवाही और वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। जब किसी कर्मचारी का सेवा विस्तार ही नहीं हुआ, तो उसे वेतन कैसे और क्यों दिया गया? अब विश्वविद्यालय को यह स्पष्ट करना होगा कि यह निर्णय किस आधार पर लिया गया और क्या इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच आवश्यक है, ताकि विश्वविद्यालय प्रशासन में पारदर्शिता बनी रहे और भविष्य में इस प्रकार की वित्तीय अनियमितताओं से बचा जा सके। वहीं, प्रभावित शिक्षकों के लिए भी इस स्थिति में स्पष्टता लाना जरूरी है, ताकि वे अनिश्चितता की स्थिति से बाहर आ सकें।

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