आदित्यपुर: सड़क दुर्घटनाओं की वजह ओवरलोडिंग वाहनों का परिचालन भी, दुर्घटना के साथ सड़क का हो रहा नुकसान, इसी से एक्सीडेंट की बढ़ी हुई है रफ्तार

0
Advertisements
Advertisements

आदित्यपुर:- जिले में सड़क दुर्घटनाओं की एक वजह ओवरलोडिंग वाहनों का परिचालन भी है. ओवरलोडिंग वाहनों के परिचालन से सड़क दुर्घटना के साथ सड़क का भी नुकसान हो रहा है. बता दें कि इसी से सड़क पर एक्सीडेंट की रफ्तार बढ़ी हुई है. बता दें कि कल सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में जिले में सड़कों पर मौतों के आंकड़ें भयावह प्रस्तुत किए गए थे. जिसमें पिछले 2023 से 2025 फरवरी तक 423 सड़क दुर्घटना में 341 मौतें होने की आधिकारिक पुष्टि हुई है. जिला प्रशासन के यह आंकडे हमें सोचने को मजबूर करती है. बता दें कि सरायकेला-खरसावां जिले में एक ओर जहां अवैध गिट्टी, बालू ,परिवहन एवं खनन पर जिला प्रशासन का रवैया काफी सख्त है. जगह-जगह बैरिकेटिंग कर अवैध परिवहन पर शत प्रतिशत अंकुश लगा रखा है वहीं दूसरी ओर टाटा-कांड्रा, सरायकेला-कांड्रा सड़क पर कोयला, फ्लाई एस, लदे ओवरलोड वाहनों को चलते हुए आसानी से देखा जा सकता है. ओवरलोड गाड़ियों के कारण सड़क पर कोयला और फ्लाई एस गिरने से सड़क में चलने वाले वाहन और राहगीरों को काफी परेशानी होती है. आलम तो यह है कि कांड्रा-टाटा मार्ग पर सड़क पर गिरे कोयला चुनते आसानी से लोगों को देखा जा सकता है. कई बार तो लोग कोयला चुनने के चक्कर में दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. बता दूं कि औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण कई कंपनियों का रेलवे साइडिंग जिले में अवस्थित है जहां से प्रतिदिन परिवहन के लिए सैकड़ों हाईवा, ट्रकों का इस्तेमाल होता है. लगभग सभी हाईवा ट्रक ओवरलोड रहते है. ओवरलोड परिवहन कार्य में लगे हाईवा मालिकों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि चांडिल साइडिंग से कांड्रा क्षेत्र के स्थानीय कंपनियों के लिए प्रति टन 183 रुपए मिलता है. लगभग 25 लीटर डीजल की खपत होती है. दो टोल होने के कारण 520 रुपए टोल चार्ज लगता है. अगर इन सभी चीज को जोड़ा जाए तो परिवहन में लगे गाड़ी का भाड़ा से गाड़ी का ईएमआई, रोड टैक्स, रोड परमिट, डाईवर भाड़ा निकालना भी मुश्किल है. प्रतिमाह गाड़ी का स्टॉलमेंट रोड टैक्स रोड परमिट निकालने के लिए गाड़ी मालिक ओवरलोड गाड़ी चलाने के लिए मजबूर हैं. वहीं गाड़ी मालिक ने बताया कि कंपनी प्रबंधक की हिटलर शाही के कारण हम लोग ओवरलोड गाड़ी चलाने के लिए मजबूर हैं. एक अन्य गाड़ी मालिक ने बताया कि सरकारी नियम के अनुसार ओवरलोड गाड़ी से परिवहन विभाग चालान काटता है परंतु जहां माल पहुंचता है जिसका चालान रहता है उस कंपनी पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. जबकि नियम है परिवहन करने वाले एवं करवाने वाले दोनों के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन इस जिला में ऐसा कोई कानून नहीं है. आज ही स्थिति ऐसी हो गई है अगर ओवरलोड गाड़ी नहीं चलाएं तो वाहन मालिक को भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. गाड़ी मालिक ने सड़क पर चलने वाले ओवरलोड वाहनों का मुख्य कारण सही भाड़ा नहीं मिलना बताया और इसके लिए कंपनी प्रबंधक और ट्रांसपोर्टर को जिम्मेवार बताया. अगर प्रशासन परिवहन विभाग कंपनी प्रबंधक और ट्रांसपोर्टर के ऊपर कार्रवाई करें तो सड़क पर ओवरलोड गाड़ी चलना बंद हो जाएगा. क्योंकि कंपनी प्रबंधक और ट्रांसपोर्टरों का सेटिंग गेटिंग परिवहन विभाग के आला अधिकारियों के साथ होता है. जिस कारण उन लोगों के ऊपर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होती है और छोटे वाहन मालिक उनका शिकार होते हैं वही कंपनी प्रबंधक के प्रतिनिधि से कंपनी में हो रहे ओवरलोड के विषय में बात करने पर उन्होंने इसका ठीकरा ट्रांसपोर्टर के माथे फोड़ा. प्रबंधन के अनुसार कंपनी ट्रांसपोर्टिंग का टेंडर निकालती है जिस ट्रांसपोर्टर और टेंडर मिलता है उसी के द्वारा ओवरलोड किया जा रहा है. इससे कंपनी का किसी तरह का कोई लेना देना नहीं है. जिला परिवहन विभाग ओवरलोड गाड़ियों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. वहीं जानकार लोगों का कहना है कि चांडिल क्षेत्र के एक बड़े ट्रांसपोर्टर द्वारा ओवरलोड का सारा खेल खेला जा रहा है. बताया जाता है कि उनका जिले के परिवहन विभाग में अच्छी खासी सेटिंग है. चांडिल रेलवे साइडिंग से चलने वाली ओवरलोड गाड़ियों का नंबर परिवहन विभाग के पास दिया जाता है. अगर परिवहन विभाग सड़क पर वाहनों की चेकिंग करती है तो नंबर देखकर उन वाहनों को रोका तक नहीं जाता है. ऐसे में जिला प्रशासन के इस दोहरे रवैया की सर्वत्र चर्चा हो रही है.

Advertisements
Advertisements

Thanks for your Feedback!

You may have missed