आदित्यपुर : ईएसआईसी अस्पताल कहलाता है 100 बेड का वातानुकूलित अस्पताल, लेकिन अब बीमितों को नहीं मिल रही सुविधाएं


ईएसआईसी अस्पताल आदित्यपुर को अपग्रेडेड हुए 3 साल बीतने को है लेकिन अब तक बीमितों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. बता दें कि 2022 में ही अस्पताल को 100 बेड के वातानुकूलित अस्पताल में अपग्रेडेड कर दिया गया है लेकिन अब तक बीमितों को भरपूर लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसकी बड़ी वजह है अब तक 100 बेड के स्ट्रेंथ के अनुसार सुविधाओं को बहाल नहीं करना. इस संबंध में जब अस्पताल के सुपरिटेंडेंट से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा 22 जुलाई 2022 को ही स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए पत्र लिखा गया था, इसके लिए 2 बार रिमाइंडर भी भेजा गया लेकिन अब तक स्ट्रेंथ में वृद्धि नहीं हुई है लिहाजा हमें 50 बेड के स्ट्रैन्थ पर ही काम चलाना पड़ रहा है. बता दें
आदित्यपुर का ईएसआईसी अस्पताल पर तकरीबन ढाई लाख बीमितों का लोड है जिसके लिए 50 बेड बेहद कम था, जिसे बढ़ाकर 100 बेड के वातानुकूलित अस्पताल बनाया गया लेकिन अब भी वर्तमान परिस्थिति बीमितों के लिए उपयुक्त नहीं है. कहने को तो यह अस्पताल 100 बेड का वातानुकूलित अस्पताल बनकर चालू हो चुका है पर 100 बेड के अनुरूप स्ट्रेंथ नहीं बढ़ने से यहां स्वास्थ्य सेवा लेने आने वाले बीमितों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. जबकि इस पर कोल्हान के तीनों जिले के करीब ढाई लाख आईपी निर्भर हैं जो यहां स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आते हैं. बता दें कि पहली जुलाई 2022 से ईएसआईसी के नए भवन में इनडोर, ओटी और इमरजेंसी सेवा शुरू हो चुका है जिसका करीब 3 साल बीतने को है लेकिन अब तक चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों का स्ट्रेंथ 50 बेड वाला ही है. अस्पताल सुपरिटेंडेंट एमपी मिंज कहते हैं कि वे 22 जुलाई 2022 को ही स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए श्रम मंत्रालय को पत्र लिख चुके हैं लेकिन अब तक उनके लिखे पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वे कहते हैं कि अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों, रेजिडेंट और स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के स्ट्रेंथ बढ़ाने को पत्र लिखा हूं. बता दें कि कोल्हान के करीब ढाई लाख आईपी (इंश्योर्ड पर्सन) के लिए यह अस्पताल वरदान है. वर्ष 2016 में ही तत्कालीन केंद्रीय श्रम रोजगार मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 100 बेड वातानुकूलित अस्पताल की नींव रखी थी, जो वर्ष 2022 में जाकर पूरा हुआ था. बता दें कि कोल्हान के करीब ढाई लाख मजदूर वर्ग के कर्मचारी व उनके परिजनों के भविष्य निधि का यह इकलौता अस्पताल है. इस अस्पताल पर ढाई लाख आईपी के करीब साढ़े 10 लाख लोगों का लोड है. लेकिन यहां महज 50 बेड का स्ट्रेंथ है जो ओवरलोडेड रहता है. इसकी वजह से ईएसआईसी प्रबंधन को कई दूसरे सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के साथ टाइअप कर अपने आईपी को मेडिकल सुविधा देनी पड़ रही है जिसमें हर माह करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. बढ़ते खर्च की वजह से ही सेकेंडरी स्वास्थ्य सेवाओं का टाइअप बंद हो चुका है.
दवा की किल्लत से जूझते हैं आईपी, स्टाफ की कमी से सुबह से शाम हो जाती है दवाइयां लेने में –
ईएसआईसी अस्पताल में दवा की भी किल्लत चल रही है. कभी भी चिकित्सकों द्वारा लिखी गई पूरी दवाइयां आईपी को नहीं दी जाती है. शुगर, बीपी और सर्जरी में काम आने वाले जरूरी दवाओं की हमेशा कमी रहती है. आईपी को बाहर से दवा लेने को कहा जाता है. इसपर सुपरिटेंडेंट डॉ एमपी मिंज ने कहा कि दवाओं का नया रिक्वीजिश भेजा गया है, कुछ दिनों सभी दवाइयां यहां उपलब्ध हो जाएगी.


