सावन सोमवार 2024 की शुरुआत: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण, जानें कहां से आया सावन सोमवार की परंपरा…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:सावन सोमवार का महीना, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह मास शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से पवित्र होता है और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। सावन सोमवार को श्रद्धालु उपवास रखते हैं, मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं, और भगवान शिव की आराधना करते हैं।
सावन सोमवार की परंपरा का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव धरती पर अधिक सक्रिय रहते हैं और भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। यह समय विशेष रूप से कांवड़ यात्रा के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसमें श्रद्धालु गंगा नदी से जल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
सावन सोमवार 2024 में 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस दिन से लेकर पूरे सावन महीने के हर सोमवार को श्रद्धालु व्रत रखते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
सावन सोमवार के व्रत और पूजा विधि:
1. व्रत: श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। व्रत के दौरान फलाहार किया जाता है और अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
2. पूजा: भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग की स्थापना की जाती है। उन्हें गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक किया जाता है। बेलपत्र, धतूरा, और आक के फूल चढ़ाए जाते हैं।
3. मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप किया जाता है और शिव चालीसा का पाठ किया जाता है।
सावन सोमवार का महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का अवसर भी प्रदान करता है। इस समय में भगवान शिव की भक्ति और उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।