‘नहीं सुधरेंगे भारत-चीन रिश्ते,मोदी के सोच से परे, भाजपा को बहुमत न मिलने पर विदेशी की टिपणी…
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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- भारत के चुनाव परिणामों पर पूरी दुनिया की नजरें थीं। चुनाव नतीजों पर दुनियाभर की मीडिया ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि मोदी को अपने सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा। इसलिए आर्थिक सुधार वाले फैसले लेना आसान नहीं होगा। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने भी भारतीय चुनाव परिणाम पर अपनी टिप्पणी की है।
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केंद्र में लगातार 10 साल सत्ता के बाद भाजपा को बहुमत नहीं मिलने पर विदेशी मीडिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि तीसरे कार्यकाल में आर्थिक सुधार करना मोदी के लिए आसान नहीं होगा। उधर, सीएनएन ने लिखा कि मोदी का अजेय बहुमत हासिल करने का लक्ष्य धराशायी हो गया है। भारत के चुनाव परिणामों पर पाकिस्तानी अखबार डॉन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी।
‘भारत-चीन संबंधों में सुधार की संभावना नहीं’
चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी बहुमत का आंकड़ा पाने में विफल रही। इसलिए मोदी को आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। मगर राष्ट्रवाद का कार्ड खेलना संभव है। एक चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि मोदी की चीनी विनिर्माण के साथ प्रतिस्पर्धा करने और भारत के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करना अब आसान नहीं होगा।
चूंकि मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने गठबंधन के बावजूद पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रही, इसलिए प्रधानमंत्री के लिए आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा, लेकिन राष्ट्रवाद का कार्ड खेलना संभव है। चीनी विशेषज्ञों ने चीन-भारत संबंधों में भी बहुत सुधार होने की संभावना नहीं जताई।
फूडन विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के उप निदेशक लिन मिनवांग के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि मोदी प्रशासन अपनी आंतरिक और बाहरी नीतियों को जारी रखेगा। निश्चित रूप से मोदी आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना और विकास को साकार करना चाहते हैं। मगर यह कठिन मिशन होगा।
‘अजेय बहुमत हासिल करने का लक्ष्य धराशायी’
सीएनएन लिखता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम को राष्ट्रीय चुनाव में जीत की घोषणा की। मगर उनका अजेय बहुमत हासिल करने का लक्ष्य धराशायी हो गया। सत्ता में उनकी पार्टी की पकड़ कमजोर हुई है। मोदी अपने एनडीए सहयोगियों की मदद से सरकार बनाने को तैयार हैं। सीएनएन ने लिखा कि लगातार तीसरा कार्यकाल एक ऐसा मील का पत्थर है, जो उन्हें स्वतंत्रता के बाद भारत में सबसे सफल राजनेताओं में से एक बनाता है।
मगर मोदी की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी संसद में पूर्ण बहुमत हासिल करने से चूक गई है। यह एक चौंकाने वाला उलटफेर है। मोदी को अब सरकार बनाने के लिए गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। सीएनएन आगे लिखता है कि यह मोदी के लिए एक व्यक्तिगत झटका है। इस साल चुनाव में उन्होंने 400 पार का नारा दिया था।
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने क्या लिखा…
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने लिखा कि मोदी की हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने देश के लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया है। मगर उम्मीद के मुताबिक भारी बहुमत से यह आंकड़ा काफी कम रहा। यह लोकप्रिय नेता के लिए एक आश्चर्यजनक झटका था।
सरकार बनाने के लिए सहयोगियों पर निर्भर रहना नीति निर्माण में कुछ अनिश्चितता ला सकता है, क्योंकि एक दशक से मोदी ने सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी है। 2014 में भाजपा ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था। इससे भारत में अस्थिर गठबंधन सरकारों का दौर खत्म हो गया था और 2019 में भी उसने यही कारनामा दोहराया था।
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