Jharkhand Famous Temple: जानें क्या है लौहनगरी के प्रसिद्ध गोलपहाड़ी का इतिहास…महिला पुजारी करवाती हैं यहां पूजा…
लोक आलोक न्यूज डेस्क/झारखंड:-झारखंड में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जिनकी धार्मिक आस्था और संस्कृति बहुत ही पुरानी है. जिसको जानकर आप हैरान हो जाते हैं.
जमशेदपुर की बात करें तो यहां दुर्गा मां का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है, जहां पुरुषों को पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाती है. यहां केवल महिलाएं ही मां दुर्गा को पूजती हैं, तो आज हम आपको जमशेदपुर के गोल पहाड़ी मंदिर की पूरी जानकारी देंगे.
झारखंड की लौहनगरी कहे जानेवाले जमशेदपुर में मां दुर्गा की एक ऐसा मंदिर है जिसमें सिर्फ महिला पुजारी लोगों को पूजा करवाती हैं. जिसको गोल पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है. ये अद्भुत मंदिर जमशेदपुर के परसुडीह स्थित पहाड़ी की चोटी पर स्तिथ है.
आपको बता दें कि इस मंदिर की स्थापना सन 1900 में स्थापित की गई थी
गोलपहाड़ी मंदिर से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. क्योंकि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ कोई मन्नत मांगता है, तो माता उसको जरुर पूरी करती है.
गोल पहाड़ी मंदिर झारखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, और जमशेदपुर के अलावा आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में भक्त माता गोल पहाड़ी के दर्शन के लिए पहुंचते है. वहीं विशेष रुप से नवरात्रि के समय माता के दर्शन के लिए यहां भक्तों की लंबी कतारें लगती है.
आपको बताये कि माता का मंदिर पहाड़ी पर 600 फीट की ऊंचाई पर है. जिसकी वजह से भक्तों को 200 सीढ़ियां चढ़कर माता के दर्शन करने पड़ते है. वहीं पहाड़ की चोटी पर मंदिर स्थापित होने की वजह से यहां से शहर का नजारा बहुत ही सुंदर दिखाई देता है.
वहीं आपको बता दें कि हर साल मई के महीने में माता पहाड़ी की विशेष पूजा की जाती है. जो पांच दिनों तक चलती है. जिसमे माता नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं. अलग-अलग कॉलोनियों के लोग माता को अपने क्षेत्र में ले जाते है.
पहाड़ की चोटी पर गोलपहाड़ी माता मंदिर के मंदिर के साथ भगवान शिवजी, माता शीतला, माता काली, भगवान जगन्नाथ, देवी दुर्गा और भगवान गणेश का भी मंदिर भी हैं.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से रामदई नाम की एक महिला पूरे परिवार के साथ जमशेदपुर रहने आई. रामदई अपने परिवार के साथ पहाड़ के नीचे एक झोपड़ी बनाकर रहने लगी. वहीं एक रात रामदई देवी ने एक सपना देखा. जिसमे देवी ने उन्हें दर्शन दिया और कहा कि पहाड़ की चोटी पर माता की एक मूर्ति है.रामदई को रोज उसकी पूजा करनी चाहिए. अगली सुबह रामदई जैसे ही पहाड़ की चोटी पर चढ़ी तो देखा कि माता के बताये अनुसार एक पेड़ के नीचे एक मूर्ति रखी हुई है. मूर्ति को देखकर रामदई हैरान हो गई. क्योंकि मूर्ति में दो आंखें बनी हुई थी. उसके बाद रामदई उस मूर्ति की रोज पूजा करने लगी.जैसे-जैसे इस बात की जानकारी लोगों को मिलती गई लोग वहां बड़ी संख्या में माता की पूजा के लिए आने लगे. फिर धीरे-धीरे वहां मंदिर की स्थापना की गई. जिसे आज लोग गोलपहाड़ी मंदिर के नाम से जानते हैं।