क्या इंटरनेट को मानते हैं डॉक्टर, तो आप भी है Idiot Syndrome का शिकार…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- लोग अकसर हर छोटी-बड़ी जानकारी के लिए इंटरनेट की मदद लेते हैं। इंटरनेट की दुनिया बहुत बड़ी हैं जिसमें हर विषय में जुड़ी जानकारी मौजूद है। हालांकि इंटरनेट का यही ज्ञान इन दिनों लोगों को Idiot Syndrome का शिकार बना रहा है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें व्यक्ति इंटरनेट को ही डॉक्टर समझ लेता है। आइए जानते हैं क्या है इडियट सिंड्रोम और इसके हानिकारक प्रभाव।

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इन दिनों लोगों के बीच इंटरनेट का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। लोग हर छोटी-बड़ी जानकारी के लिए सबसे पहले इंटरनेट का ही सहारा लेते हैं। इतना ही नहीं अपना नॉलेज बढ़ाने के साथ ही लोग अपनी हेल्थ की जानकारी लेने तक के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। आजकल लोगों में इंटरनेट को भी डॉक्टर बना लिया है और अपनी सेहत में होने वाले किसी भी तरह के बदलाव के लिए डॉक्टर के बजाय इंटरनेट के पास जाते हैं।

इस तरह की आदत अब आपके लिए हानिकारक साबित हो सकती है। इंटरनेट पर अपनी बीमारी का निदान करने की आदत की वजह से लोग “इडियट सिंड्रोम” का शिकार हो सकते हैं। बीते कुछ समय से इसके मामलों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। आइए जानते हैं क्या इस सिंड्रोम के बारे में सबकुछ-

क्या है इडियट सिंड्रोम?

इडियट या IDIOT का मतलब “इंटरनेट डिराइव्ड इंफॉर्मेशन ऑब्सट्रक्शन ट्रीटमेंट है। यह एक ऐसी स्थिति है, जहां आसानी से उपलब्ध ऑनलाइन जानकारी सही मेडीकल ट्रीटमेंट में बाधा डालती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के जर्नल क्यूरियस में प्रकाशित एक अध्ययन इस मुद्दे पर प्रकाश डालता है। इडियट सिंड्रोम का शिकार वाले मरीज अक्सर इंटरनेट सर्च के आधार पर खुद ही बीमारी का पता लगाते हैं, जिससे वे या तो सही इलाज नहीं करवा पाते हैं या खुद ही इलाज कर हानिकारक परिणामों का शिकार हो जाते हैं।

हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि इंटरनेट हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में आपके लिए मददगार साबित नहीं हो सकता है। अच्छी और विश्वसनीय मेडीकल वेबसाइट्स और ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप्स आपको सेहत से जुड़ी जरूरी जानकारी प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, खतरा तब होता है, जब आप इंटरनेट पर क्विक सर्च के रिजल्ट को एक योग्य मेडीकल डायग्नोसिस मान लेते हैं।

क्या कहता है WHO?

डब्ल्यूएचओ इसे “इन्फोडेमिक” कहता है, जिसने स्वास्थ्य सेवा में एक मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं, क्योंकि इसने बीमारी के प्रकोप के दौरान डिजिटल और फिजिकल वातावरण में बहुत ज्यादा जानकारी पैदा कर दी है और स्वास्थ्य अधिकारियों में अविश्वास पैदा हो गया है।

लोगों को कैसे प्रभावित करता है यह सिंड्रोम?

IDIOT सिंड्रोम के मनोवैज्ञानिक प्रभाव गंभीर हैं। यह एक ऐसी मानसिकता को जन्म दे सकता है, जिसमें मरीज चिकित्सा और चिकित्सकों पर अविश्वास करना शुरू कर देते हैं और खुद अपना ट्रीटमेंट करना चुनते हैं। यह सोच और आदत पहले से किसी बीमारी का शिकार लोगों के ट्रीटमेंट में बाधा डाल सकता है, जिससे मरीज की हालात गंभीर रूप से खराब हो सकती है।

इडियट सिंड्रोम के नकारात्मक प्रभाव

भले ही इंटरनेट स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का खजाना हो सकता है, लेकिन अगर आप लगातार खुद के लक्षणों के बारे में जानकारी खोजते रहेंगे, तो यह चिंता और तनाव का कारण भी बन सकता है।

साइबरकॉन्ड्रिया या IDIOT सिंड्रोम, आपके लक्षणों की गलत जानकारी दे सकता है और यह मानने पर मजबूर कर सकता है कि आपको कोई गंभीर बीमारी है, असल में है ही नहीं।

आपको ऑनलाइन जो मिलेगा उसके डर से आप देरी कर सकते हैं या मेडीकल हेल्प लेने से बच सकते हैं, जो शीघ्र निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

साइबरकॉन्ड्रिया आपको ऑनलाइन जानकारी के आधार पर दवाएं बंद करने या बदलने के लिए प्रेरित कर सकता है, जो खतरनाक हो सकता है और स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

 

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