टाटा स्टील ने अग्रणी भूविज्ञानी पी एन बोस को उनकी 169वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी

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जमशेदपुर: टाटा स्टील ने अग्रणी भूविज्ञानी प्रमथ नाथ बोस (जिन्हें पी एन बोस के नाम से जाना जाता है) को आज उनकी 169वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर डी बी सुंदरा रामम, वाइस प्रेसिडेंट, रॉ मैटेरियल्स, टाटा स्टील ने मुख्य अतिथि के रूप में तथा संजीव कुमार चौधरी, अध्यक्ष, टाटा वर्कर्स यूनियन ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का आयोजन नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन (एनआरडी) द्वारा सेंटर फॉर एक्सीलेंस के सहयोग से किया गया था।

दिन की शुरुआत सुबह श्रद्धांजलि कार्यक्रम के साथ हुई, जहां टाटा स्टील के वरिष्ठ प्रबंधन तथा कर्मचारियों ने आर्मरी ग्राउंड के पास स्थित पी एन बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सभी स्थानों पर टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए डिजिटल श्रद्धांजलि की भी योजना बनाई गई थी।

श्रद्धांजलि समारोह में टाटा स्टील के कॉरपोरेट सर्विसेज के वाइस प्रेसिडेंट चाणक्य चौधरी, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट की वाइस प्रेसिडेंट, अत्रेयी सान्याल, टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष, शैलेश कुमार सिंह, टाटा वर्कर्स यूनियन के महासचिव सतीश कुमार सिंह, एनआरडी के चीफ, टाटा स्टील के अधिकारीगण और टाटा वर्कर्स यूनियन के सभी पदाधिकारीगण भी मौजूद थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में टाटा स्टील के रॉ मैटेरियल्स के वाइस प्रेसिडेंट डीबी सुंदरा रामम ने कहा, “पी एन बोस ने खानों और धातुओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी और यह उनकी दूरदर्शिता और खोजों का ही परिणाम है कि भारत का पहला एकीकृत इस्पात संयंत्र अस्तित्व में आया।”

श्रद्धांजलि के बाद टाटा स्टील के नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन ने सेंटर फॉर एक्सीलेंस में पी एन बोस मेमोरियल व्याख्यान का भी आयोजन किया। व्याख्यान के अतिथि वक्ता भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के उप महानिदेशक (सेवानिवृत्त) प्रदीप्त तरफदार थे। व्याख्यान सत्र का विषय था “भारत में लौह अयस्क और महत्वपूर्ण खनिजों के परिदृश्य पर चर्चा।” सत्र में एनआरडी से 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।  व्याख्यान सत्र के लिए धन्यवाद ज्ञापन टाटा स्टील के एनआरडी चीफ पीयूष श्रीवास्तव ने दिया।

बाद में शाम को पी एन बोस जियोलॉजिकल सेंटर में नॉलेज शेयरिंग  सत्र आयोजित किया गया। खनिज अन्वेषण में भूभौतिकी के अनुप्रयोग के साथ-साथ डिजिटल माइन मैपिंग और खदान निगरानी में ड्रोन के अनुप्रयोग पर विचार-विमर्श किया गया।

पी एन बोस के बारे में:

12 मई, 1855 को पश्चिम बंगाल के एक सुदूर गाँव में जन्मे भूविज्ञानी पी एन बोस ने लंदन विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1878 में रॉयल स्कूल ऑफ़ माइंस से उत्तीर्ण हुए। भूविज्ञानी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने मध्य प्रदेश के धल्ली और राजहरा में लौह अयस्क खदानों की खोज की। उनके जीवन की सबसे उत्कृष्ट उपलब्धि मयूरभंज राज्य के गोरुमहिसानी की पहाड़ियों में लौह अयस्क भंडार की खोज थी।  इस खोज के बाद, पी एन बोस ने 24 फरवरी, 1904 को जे एन टाटा (टाटा स्टील के संस्थापक) को एक पत्र लिखा, जिसके परिणामस्वरूप 26 अगस्त, 1907 को साकची में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना हुई।

कई चीजों को सबसे पहले करने का श्रेय
पी एन बोस को जाता है। वे ब्रिटिश विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक करने वाले पहले भारतीय थे; असम में पेट्रोलियम की खोज करने वाले पहले व्यक्ति थे; भारत में साबुन का कारखाना लगाने वाले पहले व्यक्ति थे और पेट्रोलियम संबंधी कार्यों में सहायता के लिए माइक्रो सेक्शन शुरू करने वाले भी पहले व्यक्ति थे। वे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में श्रेणीबद्ध पद पाने वाले पहले भारतीय भी थे, जहाँ उन्होंने सम्मान के साथ काम किया। एक विज्ञान पुरुष के रूप में, उन्होंने देश में तकनीकी शिक्षा के लिए लगातार काम किया। उनके प्रयासों ने बंगाल तकनीकी संस्थान की नींव भी रखी, जिसे आज जादवपुर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है, जिसके बोस पहले मानद प्राचार्य थे।

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