Sucess story :- कमाल है यह किसान का बेटा! सरकारी नौकरी छोड़ साइकिल पर बेचने लगा प्रोडक्ट, आज 23000 करोड़ की कंपनी…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:- गुजरात के एक गरीब किसान के परिवार में साल 1945 में पैदा हुए करसनभाई पटेल ने बचपन में ही ठान लिया था कि एक दिन पैसा ही नहीं नाम भी कमाना है. गुजरात के रूपपुर में ही उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई पूरी हुई और जीवन के कई साल आर्थिक तंगी में ही गुजारने पड़े. जिद और जुनून की आंधी शुरुआत से ही उनके अंदर थी तो गरीबी भी रास्ता नहीं रोक सकी. रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन करने के बाद पटेल ने एक सरकारी लैब में बतौर टेक्निशियन नौकरी शुरू कर दी.
गरीब परिवार के युवा को सरकारी नौकरी मिल जाए तो और क्या चाहिए. लेकिन, यह सोच एक सामान्य व्यक्ति की हो सकती है, जो करसनभाई बिलकुल नहीं थे. नौकरी से चार पैसे आने शुरू हुए तो घर की आर्थिक स्थिति कुछ हद तक ठीक हो गई है, लेकिन करसनभाई किसी हद में रहने वाले नहीं थे. उन्होंने हद से बाहर निकलने की ठान ली थी और एक दिन अचानक नौकरी से इस्तीफा देकर खुद का रास्ता खोजने निकल पड़े.
शुरू हो गया संघर्ष का सफर
साल 1969 में पटेल ने अपना बिजनेस शुरू किया. उन्होंने देखा कि आम आदमी महंगे डिटर्जेंट पाउडर का इस्तेमाल नहीं कर पाता. उस समय कपड़े धुलने के साबुन और सर्फ वगैरह ज्यादातर बाहर से आते थे. करसनभाई ने इस कमी को पूरा करने की ठानी और 15 हजार का लोन लेकर घर के पीछे ही डिटर्जेंट पाउडर बनाने की फैक्ट्री डाल दी. अपने ब्रांड का नाम दिया निरमा, जो आज देशभर में बच्चे-बच्चे की जुबान पर है. फैक्ट्री से निकले डिटर्जेंट पाउडर को साइकिल पर रखकर घर-घर बेचने निकल पड़े.
फिर आया सफलता का दौर
13 रुपये किलोग्राम के भाव से निरमा को बेचना शुरू किया तो जल्द ही आम लोगों में इसका इस्तेमाल बढ़ना शुरू हो गया. कम चला तो एक छोटी सी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट किराये पर ली और प्रोडक्टशन के लिए लेबर भी लगा दिए. इसके बाद निरमा ने घर-घर तक अपनी पहुंच बना ली और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
आज 18 हजार कर्मचारी
निरमा ने 2000 के दशक में तो देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. आज कारोबार इतना बढ़ चुका है कि कंपनी के साथ 18 हजार से ज्यादा कर्मचारी जुड़ चुके हैं. अब निरमा सिर्फ सर्फ ही नहीं साबुन, कॉस्मेटिक और पर्सनल केयर प्रोडक्ट भी बनाती है. कंपनी की सालाना कमाई आज 7 हजार करोड़ रुपये पहुंच गई है, जबकि टर्नओवर 23 हजार करोड़ रुपये सालाना है.