एनआईटी जमशेदपुर में सेमिनार में नए आपराधिक कानूनों पर जागरूकता बढ़ाई
जमशेदपुर।गुरुवार को एनआईटी जमशेदपुर में आंतरिक शिकायत समिति, जेंडर स्टडीज सेल और राष्ट्रीय सेवा योजना के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के परिणामस्वरूप एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी हुई। इस आयोजन का उद्देश्य संकाय सदस्यों और छात्रों दोनों को हाल ही में अधिनियमित तीन आपराधिक कानूनों के बारे में शिक्षित करना था, इनमें भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 शामिल हैं। इन कानूनों ने भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 जैसे पुराने औपनिवेशिक कानूनों का स्थान ले लिया है, जो न्याय-केंद्रित ढांचे की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
चर्चा का नेतृत्व प्रोफेसर सोहिनी बनर्जी और अधिवक्ता ममता सिंह ने किया, जिन्होंने इन कानूनी सुधारों की जटिलताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने केवल अपराधीकरण के बजाय न्याय-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बदलाव पर जोर दिया, जिससे उपस्थित लोगों को विधायी परिवर्तनों की व्यापक समझ प्रदान की गई।सेमिनार ने अकादमिक और कानूनी दोनों क्षेत्रों में अत्यधिक महत्व और प्रासंगिकता हासिल की क्योंकि इसमें मुख्य अतिथि आईआईटी पटना के निदेशक प्रोफेसर टी.एन. सिंह और एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रोफेसर गौतम सूत्रधर जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की सम्मानजनक उपस्थिति देखी गई। कई संकाय सदस्यों और छात्रों के एक बड़े समूह के साथ उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन के महत्व को रेखांकित किया।जेंडर स्टडीज सेल की अध्यक्षा प्रोफेसर प्रभा चंद, आंतरिक शिकायत समिति की अध्यक्षा डॉ. मधु सिंह एवम कार्यक्रम की संयोजक डॉ. श्वाति सुधा और राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ. जयेंद्र ने सेमिनार के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें लैंगिक समानता के प्रति एनआईटी जमशेदपुर की मजबूत प्रतिबद्धता को देखते हुए सेमिनार के दौरान महिलाओं और बच्चों के कल्याण से संबंधित कानूनों पर विशेष जोर दिया गया। संस्थान का उद्देश्य ज्ञान प्रसार से आगे बढ़कर सभी हितधारकों के बीच कानूनी जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी की संस्कृति विकसित करना है।