सरायकेला के भुरकुली में धार्मिक अनुष्ठानों के निर्वहन के साथ वर्ष 1908 से हो रही है पारंपरिक चड़क पूजा

0
Advertisements
Advertisements
Advertisements

सरायकेला: सरायकेला प्रखंड के भुरकुली गांव में वर्ष 1908 से भोक्ता पाट के साथ चड़क पूजा का आयोजन हो रहा है। भुरकुली में वर्ष 1908 में ही शिवलिंग का अविर्भाव हुआ जिसके बाद से प्रति वर्ष भक्ति भाव से विश्वनाथ महादेव के रुप में पूजा अर्चना कर चड़क पूजा का आयोजन हो रही है। इस वर्ष बाबा विश्वनाथ महादेव के मंदिर में चड़क पूजा के दौरान भोक्ता रजनी फोड़ा,जिह्वा वाण,अग्नि पाट व गांजा डांग समेत अन्य आकर्षक खेल का प्रदर्शन करेंगे। क्षेत्र प्रसिद्व इस आध्यात्मिक आयोजन को देखने के लिए सरायकेला खरसावां जिले के विभिन्न कोने के साथ बंगाल व ओड़िशा क्षेत्र के भी सैकड़ो भक्त श्रद्धालु पहुंचते है। मान्यता है कि भुरकुली में बाबा विश्वनाथ की सच्चे मन से पूजा अर्चना कर मांगी गयी हर मनोकामना पूरी होती है। चड़क पूजा के दौरान भक्तो द्वारा आकर्षक करतब दिखाकर भक्ति की अग्निपरीक्षा देते है। जिसके तहत लोहे के पतले रड को मुंह में अपने गालो पर आर पार कराने के साथ लोहे की कील को पीठ पर फंसाकर 5 बैलगाड़ी जैसे भारी वाहनो को खींचना,अग्नि पाट व गांजा डांग जैसे हैरतअंगेज करतब भक्तों द्वारा दिखाया जाता है। इसे बाबा की भक्ति ही माना जाता है कि भक्तो को कोई पीड़ा नही होती है और ना ही उनके शरीर पर कोई छाला पड़ता है। इस वर्ष के चड़क पूजा के आयोजन को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है। पूजा कार्यक्रम के तहत भुरकुली में 10 अप्रैल को शुभघट के साथ चड़क पूजा का विधिवत शुभारंभ होगा। 11 अप्रैल से 12 अप्रैल तक परंपरा के तहत विधिवत सभी पूजा अनुष्ठान होगा। 13 अप्रैल को 12 भोक्ता उपवास व्रत पालन करके शुभ घट,यात्रा घट, गरियाभार घट, कालिका घट व सती पाट का निर्वहन करेंगे। इस दिन पूरा रात छऊ नृत्य का आयोजन होगा। 14 अप्रैल को वैशाख माह के प्रथम दिन पर संक्रांति के सूर्योदय के समय सती पाट,शोभा यात्रा,मडा पाट,चलति गाजा डांग,रजनी फुड़ा व निया पाट का आयोजन होगा। मड़ा पाट के तहत लोहे के नुकीले कील लगा शय्या पर भक्त शयन करता है जिसे कंधा देकर मंदिर लाकर परिक्रमा किया जाता है। इस मौके पर यहां नियम माला का भी आयोजन किया जाता है जिसमें देखते अंगारे पर भक्त नंगे पांव चलते हैं पर उनके पैर में कहीं छाले तक नहीं पड़ता। पूजा अर्चना के पश्चात मन्नत अनुसार बलि पूजन के रूप में भेड़ बकरे की भी यहां पूजा होती है। जिसमें स्थानीय व आसपास गांव से लोग बकरे एवं भेड़ को लाकर पूजा करते हैं। प्रतिवर्ष की भांति विभिन्न कार्यक्रमों के साथ यहां चड़क पूजा के आयोजन की तैयारी चोरों पर चल रही है।

Advertisements
Advertisements

Thanks for your Feedback!

You may have missed