स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के साथ रांची स्थित अपने आवास पर सहिया का परेशनी को लेकर भेंट किए डॉ संजय गिरी.
रांची:- जमशेदपुर के संपूर्ण मानवता कल्याण संघ के अध्यक्ष डॉक्टर संजय गिरी द्वारा पहल के बाद चार सहिया को पुनः अपनी कार्यप्रणाली पर विभाग द्वारा ले लिया गया है.मालूम हो कि बीते मार्च महीना से क्षेत्र के 4 सहिया को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिग्भ्रमित करते हुए विभाग से निकाल दिया गया था.उन चार सहिया मैं से पाकुड़ जिला अंतर्गत धंर्मखापड़ा क्लस्टर के पंपा मंडल, गिरिडीह जिला अंतर्गत मंजू देवी, पार्वती देवी व मंजू लता कुमारी शामिल है.बताया गया कि बीते 23 जनवरी से हम लोग सहिया संघ के आह्वान पर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे थे. हम लोग धरना प्रदर्शन लोकतांत्रिक तरीके से किए थे. इस दौरान कोई भी स्थानीय पदाधिकारी द्वारा कोई शिकायत नहीं है. जबकि यह हड़ताल पूरे सहिया संघ द्वारा किया गया था. फिर बीते 16 फरवरी को विभागीय सचिव के साथ वार्ता हुई .उसके पश्चात हम लोग हड़ताल समाप्त कर अपने अपने कार्यों में योगदान दिए .सब कुछ पूर्व की भांति चल रहा था सभी सैयां सरकारी काम में अपना भूमिका निभा रहे थे. उसके बावजूद भी हम लोग चार सहिया को विभाग द्वारा दिग्भ्रमित करने का आरोप लगाकर निकाल दिया गया था.
फिर हम लोगों ने जमशेदपुर के एनजीओ संपूर्ण मानवता कल्याण संघ के अध्यक्ष डॉ संजय गिरी को इस बारे में सूचना दिया . उन्होंने हम लोगों का आश्वासन दिया कि जल्द हम इस विषय में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मिलकर आप लोग को पुनः कार्यप्रणाली में जोड़ने की अपील करेंगे. इस दौरान आज शुक्रवार को डॉक्टर संजय गिरी में रांची स्थित स्वास्थ्य मंत्री बांदा गुप्ता के आवास पर मिलकर चार सहिया का परिस्थिति के बारे में अवगत कराया. सारी स्थिति सुनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री गुप्ता ने विभाग को अवगत करा कर उक्त चार सैयां को पुनः कार्यप्रणाली में योगदान करा दिए है. इसके बाद उक्त चार सहिया अब अपने काम पर लौट सकेंगे. ऊक्त चार सहिया ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता तथा डॉक्टर संजय गिरी को आभार प्रकट किए.
बीते दिनों झारखंड के सभी सहिया को लेकर उनकी जायज मांग के लिए रांची में आंदोलन किए थे डॉक्टर संजय गिरी:-
बीते महीने झारखंड के करीब 25 हाजार के सहिया को लेकर उनकी जायज मांग को लेकर रांची मुख्यमंत्री आवास के पास एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किए थे. इसके बावजूद मुख्य सचिव द्वारा सहिया साथी को बुलाकर उनकी मांग को जायज बताते हुए बहुत जल्द कार्रवाई करने की लिखित आश्वासन दिए थे. इसके बाद आंदोलन खत्म हुआ था तथा सभी सहिया अपने अपने काम पर लौटे थे.