जानें कौन है आईएएस छवि रंजन जिनके ठिकानों पर ईडी ने डाली है रेड, जमशेदपुर से हुई है प्रारम्भिक शिक्षा ,क्या है पूरा मामला
जमशेदपुर: शुक्रवार को प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने रांची के पूर्व उपायुक्त रहे छवि रंजन की पत्नी समेत 22 ठिकानों पर गुरुवार को एक साथ छापेमारी की. ईडी की टीम ने पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में छापेमारी शुरू की. टीम की ओर से जमशेदपुर के कदमा जीपी स्लोप स्थित एक अपार्टमेंट में भी छापेमारी की जा रही है. इस अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 1ए में छवि रंजन के माता-पिता रहा करते थे. बीते कुछ सालों से यह फ्लैट बंद पड़ा है. छवि रंजन बीच-बीच में यहां आना जाना करते थे. इस फ्लैट की देखरेख का जिम्मा आदित्यपुर में रहने वाले रिश्तेदार करते हैं. फ़िलहाल ईडी की कार्रवाई जारी है.
जमशेदपुर के सेंट मैरी हिंदी स्कूल से की पढ़ाई
छवि रंजन ने जमशेदपुर के सेंट मैरी हिंदी स्कूल से वर्ष1999 में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी. इसके बाद उन्होंने टेल्को के चिन्मया विद्यालय में 12वीं तक की पढ़ाई की. उच्च शिक्षा के लिए वे दिल्ली चले गए. दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस से बीएससी और एमएससी की डिग्री हासिल की. साल 2010 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 125वां रैंक प्राप्त किया. छवि रंजन की पहली पोस्टिंग चक्रधरपुर के एसडीओ के रुप में हुई थी. इसके बाद उन्हें 2014 में लोहरदगा का डीडीसी बनाया गया. साल 2017 में वे सरायकेला-खरसावां जिले के उपायुक्त बने. इसके बाद उन्होंने झारखंड कृषि विभाग में डायरेक्टर का पद भी संभाला. रांची में उपायुक्त रहने के दौरान रांची के मेन रोड स्थित हनुमान मंदिर में तोड़ फोड़ और पत्थरबाजी के कारण हुई हिंसा के बाद रांची के सीनियर एसपी सुरेन्द्र कुमार झा और डीसी छवी रंजन को पद से हटा दिया गया था. जिसके बाद वे कल्याण विभाग के निदेशक के पद पर बहाल हुए.
क्या है पूरा मामला
आईएएस अधिकारी छवि रंजन को जिन मामलों में लेकर ईडी संदेह के दायरे में रखकर छापेमारी कर रही है. इसमें रांची के करम टोली में सेना की 4.55 एकड़ जमीन को गलत तरीके से बेचने, कई जमीनों की रजिस्ट्री, उसका म्यूटेशन भी गलत तरीके से कराने का मामला शामिल है. इस मामले के संज्ञान में आने के बाद रांची नगर निगम की ओर से बरियातू थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. वहीं रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने जालसाजी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि प्रदीप फर्जी दस्तावेज दिखाकर दो-दो होल्डिंग ले लिया था. आयुक्त की जांच में सेना के कब्जे वाली जमीन का असली रैयत जयंत करनाड मिला था.