यूथ आइकन काजल महतो की गांव से नवी मुंबई तक की सफर की कहानी

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सरायकेला खरसावां: सरायकेला जिले के कुकरू प्रखंड अंतर्गत कुदा गांव है जहां के सभी लोग किसान हैं एवं उन का भरण-पोषण सहित सभी काम कृषि के आमदनी पर ही निर्भर है, चाहे वह बच्चे का ट्यूशन फीस हो बिजली हो या डॉक्टर के खर्च हो।

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इसी गांव के एक अत्यंत गरीब परिवार की लड़की है काजल महतो।काजल तेजस्विनी परियोजना अंतर्गत तेजस्विनी क्लब कुदा की एक सदस्य है जो नियमित रूप से क्लब के गतिविधियों में भाग लेती हैं।भले हि लोग काजल के परिवार को नहीं जानते हो पर काजल अब हर यूथ की आइकॉन बन चुकी है। काजल के माता-पिता खेती-बाड़ी करते हैं और काजल भी अपने माता पिता के साथ खेती-बाड़ी में हाथ बताती है। काजल एक बहुत ही मेहनती लड़की है जो अपने जुनून की पक्की है।काजल उस समय लोगो के नजर मे तब आयी जब उनका चयन राज्य स्तरीय साइकिलिंग के लिए हुआ और वह राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए नवी मुंबई चली गई।

भले ही काजल वहां पर अपनी जीत हासिल नहीं कर पाई क्योंकि जीत हासिल ना कर पाने का मुख्य कारणों में से एक है उनका गरीबी क्योंकि किशोरियों को वैसे भी सही मात्रा में पौष्टिक आहार की जरूरत होती है और काजल एक खिलाड़ी तो उनको और भी पौष्टिक व संतुलित भोजन की जरूरत होती है। परंतु वह रोजाना साधारण चावल व सब्जी खाती है। काजल बताती हैं कि किसान परिवार से होने के नाते उनके परिवार मे अधिकांश समय चावल हि बनता है जिससे भी धूप में भी काम कर सकें।काजल ने नवी मुंबई में जीत तो हासिल नहीं कर पाई लेकिन युवा वर्ग के लिए एक पहचान छोड़ गई जिसका परिणाम स्वरूप आज दर्जनों लड़के और लड़कियां कुदा में खेलकूद का अभ्यास करते हैं। इतना ही नहीं इन में से प्रेरित होकर पिछले वर्ष कुकडु प्रखंड के 35 किशोर-किशोरियों दिल्ली में ग्राफीन कुश्ती में भाग लेने भी गए थे जिन को विदा करने क्षेत्र के विधायक खुद आयी थी एवं तिरुलडीह से टाटा तक जाने के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई थी।इतना ही नहीं उन्होंने सभी बच्चों के लिए आर्थिक राशि सहयोग भी की थी।आज दर्जनों बच्चे काजल बनने के लिए खेलकूद में अपना भाग्य आजमाने में लगे हुए हैं आज काजल को क्षेत्र का बच्चा-बच्चा भी जानता है। उन्हें कई बार प्रतिभा सम्मान समारोह में सम्मानित किया जा चुका है।आज अगर काजल को सही पोषण आर्थिक सहायता मिलती तो शायद व जीत हासिल करने में कामयाब हो चुकी होती।

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