बिरसा सेवादल के तत्कालीन संस्थापक अध्यक्ष दुर्गा बानसिंह के निधन पर शोक सभा एवं श्रद्धांजलि आयोजित
जमशेदपुर : बीते दिन शुक्रवार को 90 वर्षीय दुर्गा बानसिंह का सोमय झोपड़ी जमशेदपुर में निधन हो गया है। ये झारखंड आंदोलनकारी सह बिरसा सेवा दल के तत्कालीन संस्थापक अध्यक्ष,ऐटेः तुरतुंग पिटिका अखड़ा के तत्कालीन अध्यक्ष एवं हो समाज के वरिष्ठ बुद्धिजीवी थे।वर्ष 1967 अविभाजित सिंहभूम जिला बिरसा सेवादल इकाई का गठन हुआ था,तो स्वर्गीय दुर्गा बानसिंह संस्थापक अध्यक्ष चुने गए थे। बिरसानगर बस्ती को बसाने वाले संस्थापक सदस्यों में से एक थे।साथ ही झारखंड अलग राज्य के आंदोलनकारी थे ।सभा से पूर्व इनके द्वारा क्रांतिकारी गीत गाए जाते थे और जोशीला भाषण देते थे।आध्यात्मिक गुरु वारंड़ क्षिति लिपि के जनक गुरुकोल लाको बोदरा के करीबी थे एवं उनके सहयोगी रहे हैं। हो भाषा वारंड़ क्षीति लिपि को जन-जन तक आजीवन प्रसार-प्रचार करते रहे।झारखंड राज्य में हो भाषा को द्वितीय राजभाषा का स्थान दिलाने में इनका सराहनीय योगदान रहा है।इनके निधन से हो समाज को काफी क्षति हुई है ।यह मूल रूप से सरायकेला- खरसावां जिला के ग्राम-निश्चिंतपुर के निवासी थे।जहां इनका अंतिम दाह संस्कार होना है।इनके निधन पर बिरसा सेवा दल कार्यालय में इनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी गई ।दर्शन एवं शोक सभा में इनके पुत्र लीटा बानसिंह,बागुन बानसिंह,बिनानंद सिरका,संजीव सिरका, बिरसा सेवा दल के अध्यक्ष गैब्रियल मिंज, श्रीमती सुसारी गुडिया,अनूप तोपनो,अनियूष सुरीन,निरंजन तिडू,संतोष पुर्ति,राजन सामद, घनश्याम बारी,हरीश बिरूली,बिंगुल गुड़िया एवं बस्ती के काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।