घाटे में चली में योगी की रोडवेज, अधिकारियों के उड़े होश !!
उत्तर प्रदेश: रोडवेज की बसों के संचालन पर धार्मिक यात्रा और बारिश के मौसम का असर पड़ा है. इसके चलते अब तक रोडवेज को कई करोड़ का नुकसान हो चुका है. हालांकि रोडवेज के अधिकारी धार्मिक यात्रा के बजाय बारिश को घाटे का अहम कारण मान रहे हैं.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों के संचालन पर धार्मिक यात्रा और बारिश के मौसम का बड़ा असर पड़ा है. इसके चलते अब तक रोडवेज को कई करोड़ का नुकसान हो चुका है. हालांकि रोडवेज के अधिकारी धार्मिक यात्रा के बजाय बारिश को घाटे का अहम कारण मान रहे हैं. वहीं रोडवेज के अधिकारियों को चिंता सता रही है कि अगले महीने का वेतन कर्मचारियों को कैसे दिया जा सकेगा.
सावन माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से कांवड़ यात्रा निकालकर पवित्र गंगाजल लेने के लिए उत्तराखंड के हरिद्वार जाते हैं. सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा तय करके श्रद्धालु इस पवित्र स्थल तक पहुंचते हैं. भले ही श्रद्धालु पैदल यात्रा तय करते हैं, लेकिन रोडवेज बसों के संचालन पर इसका असर पड़ रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम रूटों पर धार्मिक यात्रा और बारिश के मौसम के चलते बसों का संचालन काफी कम हो गया है. हालांकि रोडवेज के अधिकारी धार्मिक यात्रा के बजाय बारिश को घाटे का अहम कारण मान रहे हैं. बसों का संचालन कम होने से इनकम पर असर पड़ा है, जिससे अधिकारियों की टेंशन बढ़ गई है. अधिकारियों का कहना है कि धार्मिक यात्रा के दौरान पहले सड़क पर एक तरफ का रूट ओपेन रहता था, दूसरी तरफ एक लाइन में श्रद्धालु चलते थे, लेकिन इस बार दोनों रूट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं, जिससे बसों का संचालन प्रभावित हुआ है. इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है. यात्रा के साथ ही बरसात के मौसम ने रोडवेज को दोहरी चोट पहुंचाई है.
लखनऊ रीजन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरफ जो बसें जाती हैं उन्हें 100 किलोमीटर से 120 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ रहा है. इससे बसों का खर्च बढ़ गया है, जबकि इनकम में कमी आ गई है. लखनऊ रीजन की 300 से 400 बसें प्रभावित हैं. जहां हर रोज लखनऊ रीजन की आय एक करोड़ 30 लाख रुपए थी वह घटकर एक करोड़ रह गई है. यानी हर रोज 20 से ₹30 लाख तक का नुकसान लखनऊ रीजन को उठाना पड़ रहा है. लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस का कहना है कि इसके लिए सिर्फ धार्मिक यात्रा को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. इस समय बारिश का मौसम है. लिहाजा, यात्री घर से सफर के लिए नहीं निकल रहे हैं, जिससे बसों का संचालन प्रभावित है. यही नहीं इस मौसम को लीन सीजन माना जाता है, इसलिए हर साल बसों का संचालन कम होता है. यात्री कम मिलते हैं. इससे नुकसान होता है. सितंबर माह में संचालन ट्रैक पर आ जाएगा. यात्री सफर करने के लिए निकलने लगेंगे, जिससे यह घाटा पूरा हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के घाटे की बात करें तो धार्मिक यात्रा, बारिश का मौसम और लीन सीजन बड़े घाटे का कारण बन रहे हैं. पहले जहां हर रोज परिवहन निगम की आय ₹15 करोड़ होती थी, वह घटकर अब नौ करोड़ रुपए रह गई है. यानी छह करोड़ रुपए का नुकसान परिवहन निगम को उठाना पड़ रहा है. आय कम हो जाने के चलते अब परिवहन निगम के अधिकारियों को महीने में कर्मचारियों का वेतन देने की भी फिक्र सता रही है.