विश्व विटिलिगो दिवस: बेहतर उपचार के साथ सफेद दाग का इलाज संभव- DR.R.KUMAR
World vitiligo day 2022:- शरीर पर होने वाले सफेद दाग को विटिलिगो (Vitiligo) या ल्यूकोडर्मा भी कहते हैं. यह ऑटोइम्यून डिजीज है. यह एक स्किन रोग है. इसे लेकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 25 जून को विश्व विटिलिगो दिवस (World Vitiligo Day) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य विटिलिगों के बारे में लोगों को जागरूक करना है.
इस महावपूर्ण दिवस पर जमशेदपुर के जाने-माने चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर. कुमार कहते है कि ये एक प्रकार का त्वचा विकार है जिसे ल्यूकोडर्मा के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही इसे सफेद दाग भी कहते है. यह एक ऑटोइम्यून डीजीज है, जिसमे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है. यह शरीर की इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली में होने वाली गड़बड़ी के वजह से होता है. सफेद दाग ना तो छुआछूत है और ना ही कुष्ठ रोग. ये सिर्फ और सिर्फ त्वचा विकार है. ऐसी स्थिति में त्वचा की रंगत निर्धारित करने वाली मलेनेओसाइट नामक सेल्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, और नतीजा ये होता है की त्वचा पर सफेद धब्बे नज़र आने लगते हैं.
आमतौर पर यह समस्या होठों पर दिखाई देते हैं. इसके अलावा शरीर के कई अलग-अलग हिस्सों पर भी नजर आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब इंसान के शरीर में रंग बनाने वाले सेल्स विपरीत अवस्था में कार्य करने लगते हैं तो त्वचा पर सफेद दाग दिखाई देने लगते हैं. लेकिन वर्षो पहले इसे श्वेत कुष्ठ माना जाता था. लोगों ने इसे कुष्ठ मानकर मरीज से दूरी बनाना शुरू कर दिया था, जबकि यह गलत है, सफेद दाग छुआछूत की बीमारी नहीं है और ना ही यह किसी तरह का कुष्ठ है. उन्होंने कहा कि अगर मरीज जल्द अस्पताल पहुंचते हैं तो उसका उपचार हो सकता है.
भ्रम और तथ्य:-
विटिलिगो छुने से फैलता है
भ्रम है कि विटीलिगो छूने से फैलता है लेकिन जानकार बताते हैं कि विटिलिगों की बीमारी संक्रामक नहीं होती है. ऐसे में इससे ग्रसित मरीजों का छुआ कुछ खाने-पीने से, छु लेने से, रक्त या सेक्स से यह बीमारी नहीं फैलती है.
मछली और दूध साथ में खाने से होता है सफेद दाग
नहीं, यह बिल्कुल भी सच नहीं है। इसे लेकर किसी भी प्रकार की कोई स्टडी नहीं मिलती है, जो शरीर पर सफेद दाग और मछली-दूध को साथ में जोड़ती हो। एक्सपर्ट बताते हैं कि यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होता है. जिस पर भोजन के कॉम्बिनेशन का प्रभाव नहीं पड़ता है.
ज्यादा साबून के इस्तेमाल से होते हैं सफेद धब्बे
यह धारणा भी बिल्कुल गलत है। जैसा कि हमने भी बताया कि विटिलिगों एक ऑटोइम्यून के वजह से होने वाली बीमारी है. इसमें किसी बाहरी तत्वों का योगदान नहीं होता है.
लाइलाज होते हैं ये सफेद दाग
शरीर पर पड़ने वाले सफेद दाग संक्रामक के साथ जानलेवा भी नहीं होते हैं। इस बीमारी का इलाज पूरी तरह से संभव है. सफेद दाग के उपचार से प्रभावित त्वचा का रंग वापस आ सकता है.
https://youtu.be/3P117-X1hT0