पांरपरिक आदिवासी विशु पर्व धूमधाम से मनाया गया, दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में किसी भी वन्यजीव का शिकार नहीं हुआ…
ग्रामीणों को जागरूक करते हुए वन्यप्राणियों का शिकार नहीं करने एवं पर्यावरण संतुलन के महत्व के बारे में बताया गया
जमशेदपुर (संवाददाता ):-प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला पांरपरिक आदिवासी विशु शिकार इस वर्ष भी दिनांक 08. 05.2022 एवं 09.05.2022 को मनाया गया। इस वार्षिक अनुष्ठान से जुड़ी हुई भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वन विभाग के द्वारा कई आवश्यक कदम उठाए गए जिनसे जंगली जानवरों के शिकार पर रोक लगाई जा सके। उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर द्वारा दलमा राजा श्री राकेश हेम्ब्रम से सभी स्थानीय लोगों से यह आग्रह करने का अनुरोध किया गया कि इस पारंपरिक पर्व में किसी जंगली जानवर का शिकार न करें। दिनांक 04.05.2022 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक, झारखण्ड, राँची एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी एवं मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक, झारखण्ड, राँची द्वारा सभी संबंधित पदाधिकारियों से बैठक कर तैयारी की जायजा लिया गया एवं महत्वपूर्ण निर्देश दिये गये। जिसमें सिंहभूम परिक्षेत्र के सभी पदाधिकारी उपस्थित हुए। इस सत्र में मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी, झारखण्ड, राँची द्वारा सभी उपस्थित पदाधिकारियों को विशु शिकार के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया गया। इस बैठक में उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के द्वारा विभिन्न गश्ति पथों के बारे में बताया गया तथा सभी उपस्थित वनकर्मियों को विशु शिकार के नियत्रंण के लिए उचित मार्ग दर्शन दिया गया। तदोपरांत सभी दलों के द्वारा अपने अपने निर्धारित गश्ति पथों पर देर रात तक गश्ती की गई। इसके अतिरिक्त आस पास के ग्रामों में जागरूकता फैलाने के लिए संध्या के समय प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों को वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण संबंधी वीडियो दिखाया गया। वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा के संबंध में ग्रामीणों को जागरूक करते हुए वन्यप्राणियों की शिकार नहीं करने एवं पर्यावरण संतुलन के महत्व के बारे में बताया गया।
विशु शिकार के लिए निर्धारित तिथि के कुछ दिनों पहले से ही विभाग के द्वारा वनों की सुरक्षा एवं उनमें में निवास करने वाले विभिन्न वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अनेकों बैठक का आयोजन किया गया। दिनांक 05.05.2022 एवं 06.05.2022 को मकुलाकोचा एवं पिण्ड्राबेड़ा में इको विकास समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्यों के साथ मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी, झारखण्ड, राँची एवं उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर द्वारा बैठक कर विशु शिकार की रोकथाम हेतु रणनीति तय की गयी। विशु शिकार के दौरान प्रायः देखा गया है कि आस पास के जिलें के लोग भी इस पर्व में भाग लेने के लिए आश्रयणी में आते हैं। जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए एवं इस पर्व की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन के अन्य उच्च पदाधिकारियों के साथ भी विभाग द्वारा समन्वय स्थापित किया गया। बैठक के दौरान श्री फकीर चन्द्र सोरेन द्वारा इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि बाहर से लोग आकर सेंदरा पर्व मनाते है जिसमें वन्यप्राणियों के नुकसान से स्थानीय ग्राम वासियों का ही नुकसान होगा। मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी, झारखण्ड, राँची द्वारा अपने स्तर से आरक्षी महानिरीक्षक एवं प्रमंडलीय आयुक्त से संपर्क स्थापित किया गया था तथा वन संरक्षक, वन प्रमण्डल पदाधिकारियों एवं वन क्षेत्र पदाधिकारियों पर गठित गश्ती दलों के कार्यों का समन्वय एवं अनुश्रवण किया गया। जिला स्तर पर एक कार्य उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर के द्वारा किया गया।
दिनांक 09.05.2022 को दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के दोनों प्रक्षेत्रों के वनरक्षियों द्वारा अपने अपने क्षेत्र में सधन गश्ती की गई। इस गश्ति के दौरान आश्रयणी के विभिन्न नदी नालों एवं जलश्रोतों के आस पास के इलाके पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया क्योंकि इसी इलाके में ही शिकार को फसाने के लिए जाल फांस लगाने के दृष्टिकोण से अनुकूल होते हैं। वरीय पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया गया था कि विशु पर्व हेतु लोगों की आने की संभावना वाले विभिन्न संवेदनशील स्थलों पर विशेष चौकसी प्रदान किया जाय। गोबिन्दपुर थाना अन्तर्गत गादड़ा-गोविन्दपुर तरफ से सेंदरा हेतु आने वाले वाहन, बोड़ाम थाना अन्तर्गत शशांकडीह गाँव से जंगल में प्रवेश करने वाले स्थान, पटमदा थाना अन्तर्गत बेलटाँड़ एवं अन्य संवेदनशील स्थानों से आने वाले मार्ग तथा पोटका थाना अन्तर्गत हाता, पोटका से सेंदरा मार्ग इत्यादि पर वाहन/लोगों को रोकने की व्यवस्था करने का आग्रह भी स्थानीय जिला एवं पुलिस प्रशासन से किया गया था।
विशु शिकार के नियंत्रण हेतु दिनांक 08.05.2022 एवं 09.05.2022 को सधन गश्ति के लिए 10 अलग अलग पथों का चयन किया गया। यह सभी पथ उन क्षेत्रों से होकर गुजरते है जो शिकार के दृष्टिकोण से संवेदनशील हैं या फिर ऐसे स्थलों जहाँ से दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में प्रवेश किये जाने की संभावना रहती है। चूंकि इस कार्य में अत्यधिक मात्रा में बल की आवश्यकता थी इसलिए जमशेदपुर एवं पास के विभिन्न प्रमंडलों में पदस्थापित सहायक वन संरक्षक, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, वनपाल एवं वनरक्षियों को शामिल किया गया।
उप वन संरक्षक द्वारा श्री राकेश हेम्ब्रम, देश प्रधान दलमा बुरू सेंदरा समिति, पूर्वी सिंहभूम, श्री दादा समीर एवं श्री फकीर चन्द्र सोरेन को पत्र के माध्यम से निर्धारित लॉकडाउन में भीड़ नहीं करने तथा सांकेतिक रूप से विशु पर्व मनाने हेतु अनुरोध किया गया था। दलमा राजा राकेश हेब्रम के द्वारा सामाचार पत्र के माध्यम से सूचित किया गया है कि दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में शिकार नहीं करने वं सांकेतिक रूप से पूजा-पाठ करने का निर्णय लिया गया। विशु पर्व के इतिहास में पहली बार सेंदरा समिति ने शिकार नहीं करने का निर्णय दलमा राजा राकेश हेब्रम के नेतृत्व में दिनांक 07.05.2022 को गदड़ा में आयोजित बैठक किया गया। दिनांक 08.05.2022 की शाम दलमा बुरू सेंदरा समिति के सदस्य फदलोगोड़ा में साधारण पूजा-पाठ कर वापस आने घरों की ओर लौट जाने का निर्णय लिया गया। दिनांक 09.05.2022 की शाम फदलोगोड़ा गए जहाँ वनदेवी की पूजा पारम्परिक रिति रिवाज के साथ किया गया। दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में किसी भी वन्यजीव का शिकार नहीं हुआ।