तेग बहादुर यानि वीरता की मूर्ति,आज देश मना रहा है गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व, इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी लालक़िले से देश को करने वाले है संबोधित

Advertisements
Advertisements
Advertisements

दिल्ली :-  आज देश भर में गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस 400वें प्रकाश पर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी लालक़िले से देश को संबोधित करने वाले हैं. गुरु तेग बहादुर का जन्म वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. तेग बहादुर जी के बचपन का नाम त्यागमल था. उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था. गुरु तेग बहादुर साहिब, हगोविंद के पांचवें पुत्र थे और सिखों के आठवें गुरु हरिकृष्ण राय के निधन के बाद उनको गुरु बनाया गया. गुरु तेगबहादुर जी बचपन से ही निडर थे और उन्होंने मात्र 14 वर्ष की आयु में पिता के साथ उन्होंने मुगलों के खिलाफ युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया था. उनकी वीरता से प्रभावित होकर ही उनके पिता ने नाम त्याग्मल से तेग बहादुर रखा था, तेग बहादुर का मतलब होता है तलवारों के धनि. गुरु तेग बहादुर जी एक महान विचारक, योद्धा, पथिक व अध्यात्मिक व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने धर्म, मातृभूमि और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, इसीलिए उन्हें ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है.

Advertisements
Advertisements

उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लाम धर्म धारण नहीं किया और तमाम जुल्मों का पूरी दृढ़ता से सामना किया. गुरू तेग बहादुर के धैर्य और संयम से आग बबूला हुए औरंगजेब ने चांदनी चौक पर उनका शीश काटने का हुक्म जारी कर दिया. वह 24 नवंबर 1675 का दिन था, जब गुरू तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया. उनके अनुयाइयों ने उनके शहीदी स्थल पर एक गुरूद्वारा बनाया, जिसे आज गुरूद्वारा शीश गंज साहब के तौर पर जाना जाता है. गुरू तेग बहादुर ऐसे साहसी योद्धा थे, जिन्होंने न सिर्फ सिक्खी का परचम ऊंचा किया, बल्कि अपने सर्वोच्च बलिदान से हिंदू धर्म की हिफाजत भी की.