रमजान का दूसरा जुम्मा आज, बड़ों के साथ नन्हें मासूम भी कर रहें हैं ख़ुदा की इबादत ,रखा रोजा
जमशेदपुर:- रमजान के महीने को अल्लाह की रहमतों का महीना माना गया है इसलिए हर मुस्लिम इस माह में ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत करते है. कहा जाता है कि इस माह में हर नेक काम का कई गुना सवाब मिलता है. इस दौरान अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है और बरकत की बारिश करता है. अल्लाह की रहमत पाने के लिए मुसलमान पूरे एक माह तक कठिन नियमों के साथ रोजे रखकर, नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत करते हैं.
कहा गया है कि रमजान का महीना आत्ममंथन का महीना होता है जो हर मुसलमानों को गुनाहों का प्रयाश्चित करने का अवसर देता है. रमजान के महीने में रखा जाने वाला रोजा सिर्फ खाने-पीने के नियमों तक सीमित नहीं है बल्कि इस दौरान किसी को गलत निगाह से देखना, किसी का दिल दुखाना, किसी की बुराई करना, भी गुनाह माना गया है.
रमजान का महिना जारी है और ऐसे में में घरों की दिनचर्या बदल गई है बड़े बुजुर्ग तो रोजा रखे रहे हैं लेकिन इसमें बच्चे भी पीछे नहीं है, रमजान का रोजा बड़ों के साथ-साथ मासूम बच्चे भी रख रहे हैं. कई बच्चों का यह पहला रोजा है, तो कईओं ने पहले भी रखा है. इस तपती धूप और गर्मी से बेपरवाह बच्चों ने अल्लाह से समाज और दुनिया की खुशी के लिए खुदा की दुआ की है.
आज इस पाक महीने का दूसरा जुम्मा है और शहर के अरिषा खान (5 वर्ष),याहया जुबैर (6 वर्ष) और जोया खान (7 वर्ष) अल्लाह की मोहब्बत में रोजा रखकर उनकी इबादत कर रहे हैं.
वहीँ कुछ बच्चे इस तपती धूप की परवाह किए बिना पूरा रोजा कर रहे है. गोलमुरी की रहने वाली जैनाब सिद्दीकी अभी महज 7 साल की ही है और इन्होंने पूरा रोजा रखा है. जैनब से पूछने पर उन्होंने बताया कि खुदा की खुशनूदी हासिल करने के लिए इस भीषण गर्मी में भूख और प्यास को बर्दाश्त किया. हालाकिं इनके पेरेंट्स इनका खास ख्याल रख रहें है. बता दे की जैनब 5 साल की उम्र से ही रोजा रख रही है.
इनके अलावे भी शहर में ऐसे अनेक बच्चे हैं, जिन्होंने जिंदगी का पहला रोजा रखा और दिनभर इबादत भी कर रहे है. ये बच्चे नमाज पढ़ने के साथ ही कुरआन की तिलावत भी कर रहे है.