“चित्र भारती राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव” में हुआ झारखण्ड की पृष्ठभूमि पर निर्मित डॉक्युमेंट्री फिल्म “सेरेंगसिया-1837” एवं “स्वावलंबी होते गांव” का चयन, 18 से 20 फरवरी को भोपाल में प्रदर्शित होगी फिल्में , वीपीआरए एंटरटेनमेंट के युवा फिल्मकारों प्रज्ञा सिंह, विकास-प्रकाश, कुणाल डे की बड़ी उपलब्धि ,”सेरेंगसिया-1837″ का इंग्लैंड लिफ्ट ऑफ अन्तराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल, लंदन में भी हुआ चयन

Advertisements
Advertisements

जमशेदपुर / रांची :- झारखंड राज्य अपने खनिज संपदा एवं प्राकृतिक सौंदर्य के लिए समूचे देश भर में मशहूर है। वहीं झारखण्ड की फ़िज़ाए अब देश के नामचीन फ़िल्म निर्माताओं को भी रास आ रही है। पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी फिल्में झारखंड में बनी हैं । वहीं जमशेदपुर झारखंड की कई युवा प्रतिभाओं ने अपने प्रतिभा की बदौलत शहर का नाम रोशन किया है। अब इसी कड़ी में शहर के युवा फिल्मकार प्रज्ञा सिंह, विकास-प्रकाश, कुणाल का भी नाम जुड़ गया है। युवा फिल्मकारों के द्वारा वीपीआरए एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनाए गए डॉक्युमेंट्री फिल्में “सेरेंगसिया-1837” एवं “स्वावलंबी होते गांव” का चयन देश के प्रमुख फ़िल्म महोत्सवों में से एक “चित्र भारती फ़िल्म महोत्सव” के लिए किया गया है। फिल्मों का प्रदर्शन भोपाल में 18 से 20 फरवरी को आयोजित चित्र भारती फ़िल्म महोत्सव में किया जाएगा।

Advertisements
Advertisements

भारतीय चित्र साधना के द्वारा आयोजित चित्र भारती राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव – 2022 में सुभाष घई, प्रसून जोशी , मधुर भंडारकर, अब्बास-मस्तान, सुदीप्तो सेन, विवेक अग्निहोत्री, मनोज बाजपेयी, पवन मल्होत्रा, हेमा मालिनी, माधुरी दीक्षित, बोमन ईरानी, प्रियदर्शन, अनु मलिक, रवीना टंडन, गजेंद्र चौहान, संजय मिश्रा, अर्जुन रामपाल, मनोज मुंतशिर जैसे महशूर फिल्मी हस्तियां जुड़ी हुई है।

देश भर से आई लगभग 700 से ज्यादा फिल्मों में से 36 डॉक्युमेंट्री फिल्मों का चयन अंतिम रूप से प्रदर्शन के लिए किया गया। वीपीआरए एंटरटेनमेंट की फिल्मों “सेरेंगसिया-1837” एवं “स्वावलंबी होते गांव” का फ़िल्म महोत्सव में चयन इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में केवल यही दोनों डॉक्युमेंट्री फिल्में झारखण्ड का प्रतिनिधित्व कर रही है।

See also  पोटका में तालाब में गिरने से 2 साल के बच्चे की मौत, बहन के साथ घर के पीछे गया था खेलने

चित्र भारती फ़िल्म महोत्सव में सेरेंगसिया-1837 एवं स्वावलंबी होते गांव के चयन से उत्साहित विकास-प्रकाश, प्रज्ञा एवं कुणाल ने बताया कि “हमारी टीम हमेशा से झारखण्ड की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास और जनजीवन से जुड़ी फिल्में बनाकर झारखण्ड के महत्व को दर्शाने की कोशिश करती आई है। सेरेंगसिया 1837 झारखण्ड के प्रमुख हो समुदाय के द्वारा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ प्रतिरोध की ऐतिहासिक कहानी है। वहीं स्वावलंबी होते गांव झारखण्ड के गांवो की सकारात्मकता एवं बदलाव की कहानी है।

सेरेंगसिया-1837 का आधिकारिक चयन इंग्लैंड लिफ्ट ऑफ अन्तराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल, लंदन के लिए भी किया गया है। सेरेंगसिया-1837 के निर्माण में नीदरलैंड के इतिहासकार डॉ पॉल स्ट्रॉमर, कोल्हान विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष संजय नाथ एवं हो अनुसन्धानकर्ता प्रधान बिरुआ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

शहर के चारो फिल्मकारों ने करीम सिटी कॉलेज से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है। इनके द्वारा निर्मित कई फिल्मों ने तमाम फ़िल्म महोत्सवों में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ स्क्रिप्ट राइटर इत्यादि जैसे कई अवॉर्डस अपने नाम किए है। भूतपूर्व छात्रों की इस सफलता पर करीम सिटी कॉलेज के प्रधानाध्यापक डॉ मोहम्मद रियाज तथा मॉस कम्युनिकेशन विभागाध्यक्ष डॉ नेहा तिवारी ने फ़िल्मो की सराहना करते हुए कहा कि छात्रों ने समय-समय पर अपने प्रतिभा की बदौलत कॉलेज तथा शहर का नाम रोशन किया है। इन छात्रों की सबसे खास बात यह है कि वह आदिवासी समुदाय के सभ्यता संस्कृति में विशेष रुचि रखते है, आदिवासी समुदाय को केंद्र में रखकर वह लगातार उत्कृष्ट फिल्में बना रहे है, जो झारखण्ड जैसे राज्य के लिए बेहद उत्साहवर्द्धक है। ”

See also  जमशेदपुर वर्कर्स महाविद्यालय में जियो द्वारा कार्यशाला का आयोजन

झारखण्ड मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर एसोसिएशन के अध्यक्ष एन के सिंह ने भी युवा फिल्मकारों की इस उपलब्धि पर बधाई देते हुये कहा कि शहर के युवा अगर इसी तरह से बेहतर कार्य करते रहे, तो झारखण्ड फ़िल्म का भविष्य बेहद उज्ज्वल होगा।

उपरोक्त फिल्मो के निर्माण में अंकिता टोप्पो, सूरज गिलुआ, साधु हो, तरुण कुमार, जग्गनाथ हेस्सा, गौरव सिंह, अमन सिंह, प्रतिक सिंह, कुणाल सरकार, प्रतिक चौरसिया, वीरेंद्र कुमार, अरुण कुमार एवं अन्य ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

You may have missed