जमशेदपुर के अंचल कार्यालय में फाइल खुद से हो जाता है गायब , नहीं रहता है कोई रिकार्ड , जनता लगाती है कार्यालय के चक्कर , कर्मचारी और अधिकारी एक दुसरे पर थोपते है जिम्मेदारी …
जमशेदपुर :- देश में भारत सरकार के द्वारा जिस प्रकार डिजिटलाइजेसन पर जोर दिया जा रहा है इसका साफ उदेश्य है कि देश मे विकास की रफ्तार बढ़े । लेकिन जमशेदपुर के अंचल कार्यालय में जिस रफ्तार से काम हो रहा है उससे भारत सरकार के सपने साकार होते नही दिख रहे है । आपकों बता दें कि जमशेदपुर के अंचल कार्यालय में कई ऐसे कागजात है जो कार्यालय से गायब हो जाते है । इस बारे में पूछने पर अंचलाधिकारी बताते है कि पहले वाले कर्मचारी ले कर चले गए है । लेकिन सवाल यह है कि ये आखिर किसकी गलती है ? और अगर कर्मचारी ले कर चले भी गए है तो जनता को दौड़ाया क्यू जाता है ? इसका समाधान आखिर कब मिलेगा ? आज के इस खास रिपोर्ट में आपकों रु ब रु करवाएंगे अंचलाधिकारी के कार्यालय के रूपरेखा से…
केस 1 :-
बर्मा माइंस निवासी मनोज कुमार राय बताते है कि आज से 10 साल पहले उन्होंने अपने पत्नी समिता देवी के नाम से छोटा गोविंदपुर में जमीन लिया था । जिसका कागज उनके पास है लेकिन ऑनलाइन में जमीन का डिटेल्स नहीं दिखाता है । इस मामले को लेकर जब कार्यालय में आवेदन दिया गया तो सीओ साहब ने आदेश किया कि रिकार्ड देखा जाए । रिकार्ड मे पंजी 27 में जमीन का डिटेल्स भी मिला लेकिन उसके बाद आदेश आया कि पंजी 2 में भी जाँच कीया जाए । तकरीबन एक महीने तक चक्कर लगाने के बाद पंजी 2 में देखा गया लेकिन रिकार्ड नहीं मिला । खास बात यह है कि मामले में बड़ा बाबू कर्मचारी किशन राय पर थोपते है और किशन राय अपने ओर से रिपोर्ट सौंप चुके है ऐसा बताते है । रिकार्ड नहीं मिलने के वजह से ऐसा चक्रव्यूह बन गया है कि समझ से परे है । मामले में सब अपना पल्ला झाड़ते हुए दिख रहे है । सीओ साहब बताते है कि उन्होंने इस मामले को लेकर अपने सीनियर को चिठी लिखा है कि डिटेल्स गायब है । लेकिन इस मामले का हल कब तक होगा इस पर बयान देने से बचते है ।
केस 2 :-
किताडिह निवासी राजेन्द्र प्रसाद सिंह बताते है कि जमीन अपनी पत्नी के नाम से लिए थे जिसका सीमांकन संख्या 173 /2019 -20 है । कोरोनाकाल के बाद कार्यालय खुलने पर नोटिस कर के दोनों पक्षों से कागजात मांग गया । दोनों पक्षों ने कागजात प्रस्तुत भी किया गया । विपक्षी के कागज मे त्रुटि थी जिसके बाद सीओ साहब ने लेटर दिया लेकिन उसका जबाब भी अभी तक नहीं मिला । बताया गया कि फाइल में वकील का लेटर लगा हुआ है । लेकिन जब फाइल के बारे मे पूछा जाता है तो कभी बताया जाता है कि नाजिर साहब के पास है तो कभी बोला जाता है कि बलवंत सिंह के पास है लेकिन हकीकत है कि फाइल नहीं मिल रहा है । इसके लिए पिछले 6 महीने से लगभग रोज लगातार कार्यालय में आना जाना लगा हुआ है , लेकिन कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है ।
आपकों बता दें कि ऐसे और भी कई केस मौजूद है जिसका फाइल गायब है और निपटारा कई सालों से नहीं हुआ है । लेकिन जनता के अधिकारी अगर जनता के हित का काम ही नहीं करेंगे तो फिर ऐसे अधिकारी का क्या फायदा ? और सवाल यह भी है कि कार्यालय से फाइल आखिर गायब कहाँ होता है ? अगर ऐसे होता रहा तो जनता का क्या होगा ?