सालों से तरस रहे 8 गांव के लोग, एक पुल के लिए जान हथेली पर रखकर करते हैं नदी पार।

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रांची:-  झारखंड में विकास को लेकर लाख दावे किये जाते हों, लेकिन राजधानी रांची की एक तस्वीर इसकी सच्चाई बताने के लिए काफी है. राजधानी रांची से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित पिठौरिया इलाके में एक अरसे से पुल बनाने की मांग हो रही है.लेकिन अब तक पुल नहीं बन पाया है. इससे इलाके के 8 गांव के लोग जान-जोखिम में डालकर पिठौरिया नदी पार करते हैं. और पिथौरिया बाजार से घरेलू जरूरत के लिए खरीदारी करते हैं. बारिश के मौसम में गांववालों की परेशानी कई गुना बढ़ जाती है.

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ग्रामीणों का कहना है कि रोजाना करीब एक हजार ग्रामीण नदी पार कर आवश्यक सामान, दवा और शिक्षा के लिए पिथौरिया जाते हैं, जो मानसून के दौरान खतरनाक होता है. कई लोग नदी पार करते समय बह गए. इससे बचने के लिए ग्रामीणों को लंबा रास्ता तय करना पड़ता है. पहाड़ को पार करते हुए बाजार तक पहुंचने में 3 से 4 घंटे लग जाते हैं. मूलभूत सुविधाओं के अभाव में इन गांवों के युवकों की शादी नहीं हो रही है.

दरअसल उफनती पिठौरिया नदी के उस पार 7 से 8 गांव राड़हा पंचायत में पड़ते हैं. इन गांव के लोग जंगलों के बीच से नदी को पारकर मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं. महिला, बच्चों और बुजुर्गों को भी जरूरत के वक्त ऐसे ही नदी में पार करना जाना पड़ता है. बारिश के मौसम में यह खतरनाक होता है. रात में आपातकालीन स्थिति में लोगों को इसी तरह नदी पार करना पड़ता है.

स्थानीय निवासी का कहना है कि नदी का जलस्तर कभी-कभी इतना बढ़ा जाता है कि इसे पार करना बेहद मुश्किल हो जाता है. अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही मरीजों की मौत हो जाती है. यह आलम तब है, जब यह इलाका रांची के इतने करीब है.

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स्थानीय लोगों की माने तो पिठौरिया नदीं पर पुल बनाने की मांग वर्षों से हो रही है. लेकिन उनकी मांग को न तो अधिकारी सुनते हैं, न ही नेता. चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि उन्हें उनके हाल पर छोड़ देते हैं. महिलाओं का कहना है कि बच्चों को पीठ पर बांधकर नदी पार करने में उन्हें काफी डर लगता है. लेकिन इसके अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है. अगर यहां पुल बन जाता, तो बाजार और मुख्य सड़क तक पहुंचने में उन्हें आसानी होती. रहड़ा पंचायत के कतरिया बेडा, महुआ, जारा, कौआ और टोंगरी सहित 8 गावों में करीब 4000 लोगों की आबादी रहती है. इन्हें सालोंभर इसी तरह से नदी पार करना पड़ता है. लेकिन बारिश के दिनों में इनकी जिंदगी बदतर हो जाती है.

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