सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने 8 अगस्त को मंडल विरोधी काला दिवस के रूप में मनाया। राजीव गोस्वामी, रामा गुप्ता, सुरेन्द्र चौहान, मोनिका चड्ढा, मोहन सिंह जैसे ३८६ सवर्ण शहीदों को दी श्रद्धांजली

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लखनऊ:- राष्ट्रीय सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ने 8 अगस्त को मंडल विरोधी काला दिवस के रूप में मनाया और राजीव गोस्वामी, रामा गुप्ता, सुरेन्द्र चौहान, मोनिका चड्ढा, मोहन सिंह जैसे ३८६ सवर्ण शहीदों को नमन करते हुए अपनी श्रद्धा पुष्प अर्पित किया । जिन्होंने मंडल कमीशन रूपी राक्षस के सवर्णों के प्रति राजनीतिक घृणा के खिलाफत में हुए आंदोलन में अपनी सर्वोत्कृष्ट उत्सर्ग प्राण की आहुति देकर किया था । देश में हिदुत्व के विखण्डन और सवर्णों के प्रति राजनीतिक बैमनस्य एवं घृणा फैलाने के सरकार के कुत्सित प्रयासों को रोकने के लिए दिया गया ये शहादत स्वतंत्र भारत में देश के अंदर ही वोट के लिए देश को जातिगत घृणा के आधार पर बाँटने के प्रयास को असफल करने के लिए दिया गया वलिदान था । इस आशय की जानकारी सवर्ण महासंघ फाउंडेशन के राष्ट्रीय महामंत्री डी डी त्रिपाठी ने दी। त्रिपाठी ने कहा कि जिस तरह देश के अंदर समता मूलक समाज को विखण्डित किया जा रहा है और जिसे रोकने के लिए इन वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी …एक बार पुनः देश की आज़ादी के 74 वर्ष बाद वर्तमान सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी हैं।पहले रॉलेट एक्ट को भी शर्मसार करने वाली जातीय घृणा को पोषित करने वाली अमानवीय 18 /A बिल को संसद से पास कर कानून बनाया अब 27%मेडिकल परीक्षा में ओबीसी आरक्षण की घोषणा कर इस बात को साबित करने का प्रयास किया हैं कि राष्ट्र से ज्यादा महत्वपूर्ण सत्ता हैं।देश का ईलाज भी योग्यता नहीं जातियाँ करेगी जो अपने आप में अजीब सी कुंठा की कारक हैं। जिसके लिए देश भर में सवर्णों के प्रति राजनीतिक घृणा भी उन्हें स्वीकार्य हैं।
त्रिपाठी ने कल सम्पन्न राष्ट्रीय संचालन समिति की वेविनार मीटिंग के बाद कहा कि सवर्ण समाज राष्ट्र की रीढ़ हैं । किन्तु सत्ता शक्ति तथा देश के संसाधनों पर अधिकार के लिए जैसे मोहम्मद गजनवी ,बाबर और अंग्रेजों ने भारत देश के प्रति प्रेम प्रदर्शित किया वर्तमान सत्ता भी उसी का अनुसरण कर रही हैं ….इनका रष्ट्रवाद से कोई लेना देना नहीं है ।जिसप्रकार मुसलमान भारत आये,कुछ यही रह गए और कुछ पाकिस्तान देश बना लिया फिर भी देश प्रेमी हैं ।वैसे ही वर्तमान व्यवस्था भी सत्ता के लिए सुगम मार्ग को तलाश रहा हैं ।जतिवादी और धर्म की चाशनी पिलाई जा रही हैं ।सबके विश्वास में देश का टुकड़े करने वालो को अल्पसंख्यक मोर्चा के रूप में पर्टीगत सांगठनिक हिस्सेदारी हैं किंतु सवर्ण मोर्चा के गठन से इन्हें परहेज हैं जो दर्शाता हैं कि इनके मन में सवर्णों के प्रति कितनी घृणा हैं।चाहे वो जै श्रीराम कहने से मिलती हो या फिर अल्लाह हो अकबर …फर्क नहीं पड़ता।इनका मूल उद्देश्य रष्ट्रवाद की मूल आत्मा सवर्णों का खात्मा हैं।
अब सवर्ण समाज इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। सवर्ण समाज ने कभी भी किसी को अधिकार मिले इसका विरोध नहीं किया, किन्तु अधिकार के आड़ में जिसतरह 18/A संशोधित कर सवर्णों के लिए बिना जाँच अपराधी मान लेने,न्याय के हर रास्ते बंद कर देने ,उच्च न्यायालय के अधीन ही बेल देने न देने जैसी बाध्यता एवं विक्टिम के 8 लाख रुपये का प्रलोभन दे कर पूर्व से हो रहे एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग को क़ानूनी संवैधानिक अधिकार देना सबसे बड़ा दुर्भग्यपूर्ण हैं ।और बिडम्बना की वर्तमान संसद में एक भी सांसद नहीं हैं जो इस गलत निर्णय के खिलाफ बोल सके।वोट की राजनीति का इससे घटिया चरित्र कुछ और नहीं हो सकता।
त्रिपाठी ने कहा कि पूरे देश भर में इसके खिलाफ उलगुलान होगा एवं नवम्बर दिसम्बर में यूपी में होने वाले राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में इस बात पर निर्णय लिया जाएगा तब तक पूरे देश में जनजागरण अभियान चलया जा रहा हैं।त्रिपाठी ने कहा कि हिंदुत्व को जातिगत घृणा की आड़ में वोट के लिए विखण्डण और रष्ट्रवाद कि आत्मा की हत्या के किसी भी प्रयास को सवर्ण महासंघ फाउंडेशन सफल नहीं होने देगा।इस संबंध में राष्ट्रीय कार्य समिति ने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गजेन्द्र मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में देश के अंदर सभी पार्टी प्रमुखों को पत्र भेजकर पर्टीगत सांगठनिक भागेदारी सवर्ण मोर्चा गठित करने की माँग कर चुका हैं साथ ही सवर्ण आयोग देश भर में गठित हो इसके लिए राष्ट्रपति से माँग कर चुका हैं …निर्णय अब वर्तमान व्यवस्था के हाथ में और परिणाम भविष्य की इतिहास की पृष्ठभूमि तैयार करने को उद्दत।

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