कुर्सी के खेल में नही हो रहा कोई मेल,गुप्तेश्वर होंगे नगर के नये सरदार, बहुमत से अधिक पार्षदो के समर्थन का आसार
सासाराम (दुर्गेश किशोर तिवारी) :- राजनीति में संभावनाओ का दौर अंतिम समय तक खत्म नही होता है और दावपेंच के राजनीतिक खेल में माहिर खेलाड़ी तबतक आस नही छोड़ता जबतक कि गोल न हो जाय।वह अंततः अपना दाव खेलते ही रहता है।लेकिन नगर परिषद बिक्रमगंज के नई सरकार के गठन को लेकर जो अटकलों व कयासों का सिलसिला अबतक चल रहा था वह अब छटते नजर आने लगा है।क्योंकि कुर्सी हथियाने व एक दूसरे को परास्त करने की चल रही कवायद का दौर धीरे धीरे सिमटता जा रहा है।
हालांकि नई सरकार के गठन को लेकर कोई नई तारीख चुनाव आयोग के द्वारा अबतक मुक़र्रर नही किया गया है तथा कयास लगाई जा रही है कि यह चुनाव 15 अगस्त के बाद ही सम्भवतः होगा।रबनवाज राजू द्वारा सभापति की कुर्सी गवाने के बाद नगर में मची राजनीतिक उथल पुथल के बीच एक दूसरे को कड़ी शिकस्त देने की बनाई जा रही योजना व जोड़तोड़ कर नई सरकार गठन को लेकर कई अटकलों व कयासों को पिछले दिनों बल मिलते नजर आया था।लेकिन सभी संभानाए अब निर्मूल साबित होते दिखने लगा है।क्योंकि जिन पार्षदो पर निगाहे टिकी की थी उनमे न अभीतक कोई बिखराव नजर आ रहा है और न ही रणनीति बदलने को तैयार दिख रहे है। हालांकि रणनीतिकार इसे पूरी तरह से खारिज भी नही मानते और अंतिम समय तक कुछ नया चमत्कार हो जाने की आस पर अडींग दिख रहे है।
सूत्र बताते है कि नगर परिषद के पूर्व उप सभापति रह चुके वार्ड तीन के पार्षद गुप्तेश्वर प्रसाद गुप्ता का पलड़ा फिलहाल भारी है तथा बहुमत के जादुई आकड़ो से भी अधिक का समर्थन हाशिल है।इसलिए संभावनाए जताई जा रही है कि गुप्तेश्वर ही नगर के नए कप्तान होंगे और तिथि मुक़र्रर हुई तो अपना बहुमत सिद्ध करने में भी सफल रहेंगे।सूत्र बताते है कि बिक्रमगंज अधिसूचित क्षेत्र समिति से लेकर नगर पंचायत बनने तक नगर के सबसे बड़ा गांव धनगाई का पहला अधिकार हुआ करता था तथा चेयरमैन से लेकर उप चेयरमैन के कुर्सी पर विराजमान होते रहे है।लेकिन नगर परिषद के अस्तित्व में आने के बाद किसी एक पद हथियाने व काबिज होने के लिए इस गांव के पार्षदो को अब सपना जैसा लगने लगा है।क्योंकि कहने के लिए तो इस गांव में पांच वार्ड व पांच पार्षद है।लेकिन आपसी तालमेल एवं किसी एक नाम पर सहमति बनाने के बजाय बिखराव होने से लगातार विरासत की धरोहर को भी नही बचा पा रहे है और इनके हाथों से कुर्सी निरंतर छिनती जा रही है।बहरहाल जबतक सभापति का चुनाव नही हो जाता तबतक अटकलों पर विराम नही लग पायेगा और नगर की राजनीति इसी तरह गर्माती ही रहेगी।