जनजातीय मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़ादर स्टेन स्वामी की मौत का ज़िम्मेदार कौन
मुंबई (एजेंसी): न्यायिक हिरासत में रखे गए मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़ादर स्टेन स्वामी की मौत के बाद राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय लोगों ने दुख जताया है. स्टेन स्वामी के निधन के बाद से ही सोशल मीडिया के माध्यम से कई तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं.
उनकी मौत को सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय लोगों ने “त्रासदी” बताया गया. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि ये हत्या है और हिरासत में हुई स्टेन स्वामी की ‘मौत की जवाबदेही तय करने की मांग’ भी की है. स्वामी 84 साल के थे और बीते दो दिन से मुंबई के एक अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. स्टेन स्वामी भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में न्यायिक हिरासत में थे.
भीमा कोरगॉंव हिंसा मामले में स्टेन स्वामी को राँची से बीते वर्ष हिरासत में लिया गया था. उन पर हिंसा भड़काने का मामला चल रहा था. स्टेन स्वामी पर 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में शामिल होने और नक्सलियों के साथ संबंध होने के आरोप भी लगाए गए थे. उन पर ग़ैर क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धाराएँ लगा कर एनआईए ने हिरासत में लिया था.
दरअसल स्टेन स्वामी पार्किंसन्स डिज़ीज़ से ग्रसित थे. तंत्रिका तंत्र से जुड़े इस डिसऑर्डर में शरीर में अक्सर कँपकँपाहट होती है. मरीज़ का शरीर स्थिर नहीं रहता और संतुलन नहीं बना पाता. इसी वजह से स्टेन स्वामी को पानी का ग्लास पकड़ने में परेशानी होती थी.पार्किंसन्स डिज़ीज़ के अलावा स्टेन स्वामी अपने दोनों कानों से सुनने की क्षमता लगभग खो चुके थे. कई बार वे जेल में गिर भी गए थे. साथ ही दो बार हर्निया के ऑपरेशन की वजह से उनके पेट के निचले हिस्से में दर्द रहता था. ख़राब स्वास्थ्य की वजह से उन्हें जेल की अस्पताल में रखा गया था.
क्या था मामला
महाराष्ट्र के पुणे में भीमा कोरोगांव में 2018 में हुई हिंसा के सिलसिले में कई वामपंथी कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ़्तार किया गया है. भीमा कोरेगांव में अंग्रेज़ों की महार रेजीमेंट और पेशवा की सेना के बीच हुई लड़ाई में महार रेजीमेंट की जीत हुई थी. दलित बहुल सेना की जीत की 200वीं वर्षगांठ के मौक़े पर यह हिंसा की घटना हुई थी. उस घटना के साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी पुलिस अब तक कुछ भी साबित नहीं कर पाई है.
स्टेन स्वामी की मौत पर पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट कर सवाल खड़ा किया है की
“फादर स्टेन स्वामी के निधन के बारे में जानकर स्तब्ध हूं. उन्होंने अपना जीवन आदिवासी अधिकारों के लिए काम करते हुए समर्पित कर दिया. मैंने उनकी गिरफ्तारी और कैद का कड़ा विरोध किया था. केंद्र सरकार को पूर्ण उदासीनता और समय पर चिकित्सा सेवाओं का प्रावधान न करने के लिए जवाबदेह होना चाहिए, जिससे उनकी मृत्यु हो गई”
Shocked to learn about the demise of Father Stan Swamy. He dedicated his life working for tribal rights. I had strongly opposed his arrest & incarceration. The Union Govt should be answerable for absolute apathy & non provision of timely medical services, leading to his death.
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 5, 2021