क्यों है इंतना महत्वपूर्ण महाशिवरात्रि की रात्रि, पढ़े पूरी खबर

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महाशिवरात्रि विशेष: महाशिवरात्रि शिव की रात्री यानी कि भक्‍तों के लिए सुख की वो रात्रि जिसमें पूरा माहौला शिवमय हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिव भक्‍तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन विशेष महत्‍व रखता है. पौराणिका मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से देवादि देव महादेव की आराधना करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है. यही वजह है कि भक्‍त नान प्रकार के जतन कर अपने आराध्‍य को प्रसन्‍न करने की कोशिश करते हैं. शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने का विशेष महत्‍व है. कहते हैं कि शिव शंकर तो जल मात्र चढ़ाने से ही संतुष्‍ट हो जाते हैं. लेकिन फिर भी अगर आप किसी विशेष मनोकामना के लिए शिवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्‍हें शिवलिंग पर चढ़ाकर आप महादेव की विशेष कृपा पा सकते हैं.

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मानव देह पांच स्थूल तत्वों से निर्मित है. लेकिन सिर्फ देह का तब तक कोई अर्थ नहीं है जब तक जड़ में चेतना प्रस्फुटित न हो. चेतन यानी आत्म और परम आत्मा. भारतीय दर्शन में शिव को अंतर्चेतना माना गया है. आध्यात्मिक मान्यताएं शिव को आंतरिक शक्ति मानती हैं. शव यानी जड़ में ई यानी शक्ति को प्रविष्ट करने की प्रक्रिया है शिव. आध्यात्म कहता है कि आत्मा जब किसी खोल में, पिण्ड में, शरीर में डाल दी गई तो वो उसके नियम से बंध गई और आत्मा स्वयं की क्षमता अनजान हो गई. जैसे समझ लें कि मेमोरी की फाइल डीलिट कर दी गई. क्योंकि यदि आत्मा का स्वयं की शक्ति से परिचय बना रहता तो इतनी सक्षम उर्जा को एक छोटे से पिण्ड में बांध पाना संभव ही ना होता और उसे एक अदने से शरीर से बांध कर उसे अदना बना देना संभव ही ना हो पाता.

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कब मानते है.
महाशिवरात्रि फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात्रि में होता है. यह रात्रि सुरत यानी नी जीवात्मा के लिए परिचय हेतु, स्वयं से साक्षात्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है. इस रात्रि में स्व जागरण सहज हो जाता है, संभव हो जाता है. इसी चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं, महाशिवरात्रि कहते है. आध्यात्मिक मान्यताएं पर्व पर दिवस की जगह रात्रि को महत्वपूर्ण मानता है.

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