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रांची : कोरोना मरीजों की संंख्‍‍‍या में लगातार इजाफा हो रहा है। संंदिग्‍धों की संंख्‍‍‍‍या भी थम नहींं रही।  ऐसे में इलाज  के लिए अस्‍‍‍‍‍पताल लगातार संंदिग्‍धों  के आने से स्‍‍‍‍वास्‍‍‍‍थ्‍य कर्मी की सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन और सरकार एक नया कदम उठाने जा रही है। कोरोना वायरस के संदिग्धों को पहचानने के लिए झारखंड सरकार के स्वास्थ्य कर्मी लोगों के बीच जाकर उनका कोविड-19 हेतु सैंपल इकट्ठा कर रहे हैं।  इस क्रम में उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए पीपीई किट का सहारा होता है। पीपीई किट के अधिक से अधिक उपलब्धता बनाने के लिए रांची प्रशासन द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। इस हेतु सरकार और प्रशासन द्वारा किट बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियों को अरविंद मिल्स, ओरियंट क्राफ्ट एंड आशा इंटरप्राइजेज को उपलब्ध कराई जा रही है।

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आपको बता दे कि पीपीई किट दो तरह का बनाया जा रहा है। 90 जीएसएम तर्पॉलिन प्लास्टिक और 50 जीएसएम एलडीपीई से 90 जीएसएम तर्पॉलिन प्लास्टिक से बने किट को धोने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है वहीं 50 जीएसएम एलडीपीई से बने किट का एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। यह जमीन पर आसानी से डिस्पोज भी हो जाता है. अभी इन किटों का रोजाना 100 यूनिट प्रोडक्शन किया जा रहा है। इसकी आवश्यकता को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसकी लागत 300 रुपये प्रत्येक युनिट है। आपको बता दें कि जमशेदपुर और पाकुड़ में भी इसके 50-50 युनिट भेजे गए है।

सरकार द्वारा मास्क बनाने के लिए सखी मंडल की सहायता ली जा रही है. सखी मंडल द्वारा तैयार मास्क जिसकी मार्केट कीमत 50 रुपये के आसपास है वह लगभग 5 रुपये से कम लागत पर बनाया जा रहा और इसे बार-बार सैनीटाइज करके इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह के मास्क को 7 रुपये में लोगों को उपलब्ध कराने की योजना है, और इससे बचे 2 रुपये को इस कार्य मे लगी महिलाओं के हित के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा।

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