मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के विरोध में मजदूर संगठनो के संयुक्त मंच किया

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जमशेदपुर: मजदूर संगठनो के संयुक्त मंच द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड वापस लिए जाने की मांग के प्रति केंद्रीय सरकार के नकारात्मक रूख के खिलाफ, 1 अप्रैल को पुरे देश मे इनके प्रतियों का दहन या फाड़ने का कार्यक्रम के तहत कोल्हान क्षेत्र में भी यह कार्यक्रम विभिन्न कार्यस्थलों में किया गया तथा साकची चौक में संयुक्त केंद्रीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। केंद्रीय कार्यक्रम में एक नुक्कड़ सभा आयोजित की गई और उसके बाद चार कोड की प्रतियों को जलाया गया।

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वक्ताओं ने बताया, एक ओर केंद्र सरकार के निजीकरण और विनिवेश की नीतियों के माध्यम से राष्ट्रीय संपत्ति, संसाधन, उद्यमों आदि को योजनाबद्ध तरीके से भारतीय और विदेशी कॉर्पोरेट को सौंपा जा रहा है, दूसरी ओर व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने के दिशा में 4 श्रम संहिता, तीन कृषि कानून, विद्युत अधिनियम (संशोधन) 2020 आदि के प्रवर्तन के जरिए मजदूरों और किसानों को गुलाम बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विनाशकारी इन नीतियों के कारण देश की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और संप्रभुता खतरे में पड़ गए हैं। इन नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र फेडरेशन तथा श्रम संगठनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर, पूरे भारत में लगातार विरोध दर्ज करने के बावजूद केंद्र सरकार का अड़ियल और नकारात्मक रवैये अपना रहे हैं। देश का मजदूर वर्ग न तो संघर्ष और बलिदानों से अर्जित अपने अधिकारों को छीनने देगा, न ही राष्ट्रीय संसाधनों का कॉर्पोरेट लूट की अनुमति देगा।

मजदूर वर्ग के निरंतर आंदोलन कार्यक्रम के तहत 1 अप्रैल,2021 को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान चार लेबर कोड के प्रतियां जलाकर,  मजदूर वर्ग द्वारा केंद्र सरकार की कॉरपोरेट परस्त नीतियों का अवज्ञा और अवहेलना का संदेश भेजा गया ।

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कार्यक्रम में,  इंटक, एआईटीयूसी, सीटू, एक्टू, एआईयूटीयूसी से संबंधित यूनियनों के सदस्यों के साथ बैंक, बीमा, अराजपत्रित कर्मचारी, रेलवे, डाक , सेल्स प्रमोशन एवं झारखंड वर्कर्स यूनियन आदि के सदस्य ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

श्री राकेश्वर पांडे, रघुनाथ पांडे, अंबुज ठाकुर, विश्वजीत देब,संजीव श्रीवास्तव,एस के राय, के के त्रिपाठी, बिनोद राय, ओमप्रकाश, परबिंदर सिंह, वी के एल दास, सुब्रत बिस्वास, गुप्तेश्वर सिंह, केडी प्रताप, आर एस राय, विष्णु देव गिरि, अमित राय आदि ने अपने विचार रखे थे।

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