सूर्योदय के साथ गलियों में गूंजती है दो मासूमों की आवाज, लिट्टी और समोसा बेचकर कर रहे माता पिता का भरण पोषण, स्कूल जाने के उम्र में साइकिल पर लोड कर निकल जाते है समोसा बेचने…

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गम्हरिया:- सूरज की लाल किरण से पहले ही गम्हरिया की गलियों में गूंज रही दो मासूमों की आवाज से अब सभी वाकिफ हो गए है। कड़ाके की ठंड हो या गर्मी, गलियों में घूम घूम कर लिट्टी, समोसा और जलेबी लेलो की आवाज गूंजती रहती है। बता दें कि फेरी लगाने वाले दो मासूमों का यह शौक नहीं, बल्कि बेबसी है। इन बच्चों को अपने अपाहिज माता पिता के भरण पोषण के लिए यह सब करना पड़ रहा है। जिंदगी के महज कुछ बसंत देखे इन मासूम सहोदर भाइयों के सिर पर अपने अपाहिज माता पिता का बोझ आ जाने के बाद दोनो भाईयो को स्कूल की तरफ कभी मुड़कर देखने का भी मौका नहीं मिला। घर में अपाहिज पिता एवं माता का बोझ उठाने वाला इन मासूमों के चेहरे की मुस्कान देख कोई भी इनकी खाद्य सामग्रियों को खरीदने पर विवश हो जाता है।

माता-पिता की जिंदगी बचाना चुनौती

प्रखंड के जगन्नाथपुर पंचायत अंतर्गत बलरामपुर स्थित वन विभाग की जमीन पर एक झोपड़ीनुमा घर बनाकर रह रहे सुमंत सिंह का पुत्र टुनटुन सिंह (12) एवं शंकर सिंह (10) के लिए अपने माता-पिता की जिंदगी बचाना चुनौती से कम नहीं है। माता-पिता के साथ अच्छे दिन गुजारने का सपना उस वक्त अधूरा रह गया, जब एक दुर्घटना में पिता का पांव कट गया। इलाज और भोजन की समस्या से आर्थिक स्थिति अत्यंत बदतर हो गई। गरीबी के जंग से हारना नहीं चाहते थे, लिहाजा दोनों मासूमों ने पढ़ाई के बजाय पैसे के लिए सुबह सुबह नाश्ते की फेरी लगाना शुरू कर दिया। घर में उनकी मां किसी तरह नाश्ते बनाकर बच्चों को दे देती है। फिर सायकिल पर नाश्ते का बर्तन लोड कर दोनों सड़कों पर करीब चार घंटे पैदल फेरी लगाते हैं। इससे प्रतिदिन करीब 4 सौ रुपए कमाकर दोनों खुशी खुशी अपने घर लौट जाते हैं। यह सिलसिला करीब डेढ़ वर्षों से चल रहा है।

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