Advertisements
Advertisements

पानी! याद दिलावत नानी।
लड़े पड़ोसी पानी खातिर, रिश्तों में वीरानी।।
पानी! याद —–

Advertisements
Advertisements

कुएं सँग तालाबों की अब, दिखती खतम कहानी।
चीर, चीर धरती की छाती, सबने की मनमानी।।
पानी! याद —–

कैसे हो संचय पानी का, बिजली आनी जानी।
मंत्री और प्रशासक के भी, मरा आँख का पानी।।
पानी! याद —–

आग उगलता सूरज बाबा, सुमन सभी कुम्हलानी।
झटपट प्यास बुझा ऐ बादल, छोड़ो हठ बचकानी।।
पानी! याद —–

See also  डॉ . प्रभात कुमार सिंह बने कोल्हान विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग में ओएसडी

You may have missed