एक ही सीट पर एक ही पार्टी के दो उम्मीदवार… क्या होता है बैकअप कैंडिडेट, सूरत और ओवैसी ब्रदर्स के उदाहरण से समझें…

0
Advertisements
Advertisements

लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :-यह पहली बार नहीं है जब AIMIM ने चुनाव से पहले बैकअप उम्मीदवार का इस्तेमाल किया है. यह राज्य के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला था. जहां अकबरुद्दीन ओवैसी ने चंद्रायनगुट्टा से अपना नामांकन दाखिल किया था, और बाद में उनके बेटे नूर उद्दीन औवेसी ने भी नामांकन दाखिल कर दिया था. बाद में बेटे ने अपना नामांकन वापस ले लिया था.
हैदराबाद लोकसभा सीट पर अब तक मुकाबला AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी की उम्मीदवार माधवी लता के बीच था. लेकिन सोमवार को ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने भी हैदराबाद सीट से नामांकन कर सभी को चौंका दिया. अकबरुद्दीन फिलहाल चंद्रायनगुट्टा से विधायक हैं. तो क्या हैदराबाद सीट पर ‘ओवैसी ब्रदर्स’ आमने-सामने होंगे? सवाल यह भी है कि आखिर AIMIM ने हैदराबाद से दो कद्दावर उम्मीदवारों को मैदान में क्यों उतारा है? अकबरुद्दीन कुछ घंटे पहले तक तो अपने भाई असदुद्दीन के लिए प्रचार कर रहे थे लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने हैदराबाद सीट से पर्चा भर दिया? कुछ लोग इसे अकबरुद्दीन ओवैसी की बगावत भी कह रहे हैं. आइए जानते हैं कि पूरा मामला आखिर है क्या

Advertisements
Advertisements

न ही अकबरुद्दीन बागी हुए हैं और न ही हैदराबाद सीट से वह असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती देने वाले हैं. दरअसल AIMIM ने अकबरुद्दीन ओवैसी को हैदराबाद सीट से बैकअप या वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में नामांकन कराया है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर इसकी क्या जरूरत पड़ी?
AIMIM ने क्यों कराया नामांकन.

किन्हीं कारणों से अगर असदुद्दीन ओवैसी का नामांकन खारिज हो जाता है तो AIMIM के बार बैकअप के तौर पर अकबरुद्दीन ओवैसी का नामांकन रहेगा और पार्टी का एक उम्मीदवार चुनाव में बना रहेगा. यह पहली बार नहीं है जब AIMIM ने चुनाव से पहले बैकअप उम्मीदवार का इस्तेमाल किया है. यह राज्य के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला था. जहां अकबरुद्दीन ओवैसी ने चंद्रायनगुट्टा से अपना नामांकन दाखिल किया था, और बाद में उनके बेटे नूर उद्दीन औवेसी ने भी नामांकन दाखिल कर दिया था. बाद में बेटे ने अपना नामांकन वापस ले लिया था.

Thanks for your Feedback!

You may have missed